For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य-प्रेमियो,

सादर अभिवादन.

 

ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 40 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.

 

सर्वप्रथम, आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ

15 अगस्त 2014 दिन शुक्रवार  से 16 अगस्त 2014 दिन शनिवार 

 

विदित ही है, कि चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव आयोजन की रूपरेखा अंक-34  से एकदम से बदल गयी है.

प्रत्येक आयोजन में अब प्रदत्त चित्र के साथ-साथ दो छन्द भी दिये जाते हैं. जिनके मूलभूत नियमों पर लेख मंच के  भारतीय छन्द विधान  समूह में पहले से मौज़ूद होता है. प्रतिभागियों से अपेक्षा रहती है कि वे प्रदत्त चित्र तथा उसकी अंतर्निहित भावनाओं को दिये गये छन्दों के अनुसार शब्दबद्ध करें.

अबतक निम्नलिखित कुल दस छन्दों के आधार पर रचनाकर्म हुआ है -     

अंक 34 – दोहा           तथा   रोला

अंक 35 – चौपाई        तथा   कुण्डलिया

अंक 36 - छन्नपकैया  तथा   कह-मुकरी

अंक 37 – चौपई         तथा   कामरूप

अंक 38 – गीतिका      तथा   उल्लाला

पिछला आयोजन, अंक-39, अबतक दिये गये उपरोक्त दस छन्दों में से पाँच छन्दों पर आधारित था. 

इस बार का आयोजन शेष पाँच छन्दों पर आधारित होगा.

(चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से लिया गया है)

इस बार के आयोजन के लिए उपरोक्त दस छन्दों में से पाँच छन्द निम्नलिखित हैं :

दोहाकुण्डलिया, चौपई, कामरूप, उल्लाला

 

दोहा, चौपई, उल्लाला में रचनाकर्म करना है तो इनके पाँच से अधिक छन्द हों.

कुण्डलिया, कामरूप में रचनाकर्म करना है तो इनके तीन छन्द से अधिक हों.

एक बार की प्रविष्टि में उपरोक्त पाँच छन्दों में कम-से-कम किसी एक छन्द में रचना हो सकती है और अधिकतम पाँचों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत की जा सकती है.

इस आयोजन से आयोजन के दौरान संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य नहीं होगा । विेशेष जानकारी हेतु अधोलिखित नियमावलियों में देखें. 

 

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 15 अगस्त 2014 दिन शुक्रवार से 16 अगस्त 2014 दिन शनिवार यानि दो दिनों के लिए खुलेगा.

रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा. केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

 

विशेष :

यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. आयोजन की अवधि के दौरान सदस्यगण अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक के हिसाब से पोस्ट कर सकेंगे. ध्यान रहे प्रति दिन एक प्रविष्टि, न कि एक ही दिन में दो प्रविष्टियाँ.
  2. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  3. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  4. आयोजन के दौरान संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य नहीं होगा। अत: सदस्यगण  आयोजन की रचनाओं का संकलन आ जाने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें.
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
  9. छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
    "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

           "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

 

Views: 11658

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

धन्‍यवाद श्रीवास्‍तवजी। छंद में तो बंधन भी है और स्‍वच्‍छंदता। सवैया में तो 'के' को 'क' भी लिख दिया जाता है, वैसे छंद विद्या ब्रजभाषा से ही परिपोषि‍त हुई है, इसलिए मात्राओं का बंधन है भी और नहीं भी, पर  इक को एक से केसे बोला जा सकता है मात्रा में वृद्धि हो जायेगी या फि‍र रचना में ए के हिसाब से ही शब्‍द पिरोने होंगे। खैर--- तर्क का विषय नहीं है। आप और हम ऐसे ही थोड़े थोड़े ज्ञन अर्जित करेंगे। लुप्‍तप्राय विधाओं को सहेजना जो है। आपसे वार्ता कर प्रसन्‍नता हुई। सादर। 

मात्राओं की कील से भाव न बाँधा जाये 

कवि  जब आजाद नही

क्या गीत आजादी के गाये. 

आदरणीय प्रदीपजी, इस आयोजन का एक विशिष्ट उद्येश्य है. आप जैसे समझदार वरिष्ठों से इतनी हल्की टिप्पणी की अपेक्षा नहीं थी. आप छन्द पर अभ्यास नहीं करना चाहते यह आपका व्यक्तिगत मामला है. वैसे दोहे तो आप लिख ही रहे हैं आजकल. आयोजन के अनुरूप अपने दोहों के साथ इस आयोजन में शिरकत ही किये होते.  ऐसी टिप्पणी से तो बच जाते.
शुभ-शुभ

छंद में तो बंधन भी है और स्‍वच्‍छंदता। सवैया में तो 'के' को 'क' भी लिख दिया जाता है, वैसे छंद विद्या ब्रजभाषा से ही परिपोषि‍त हुई है, इसलिए मात्राओं का बंधन है भी और नहीं भी, पर  इक को एक से केसे बोला जा सकता है मात्रा में वृद्धि हो जायेगी या फि‍र रचना में ए के हिसाब से ही शब्‍द पिरोने होंगे। खैर--- तर्क का विषय नहीं है। आप और हम ऐसे ही थोड़े थोड़े ज्ञन अर्जित करेंगे। लुप्‍तप्राय विधाओं को सहेजना जो है। आपसे वार्ता कर प्रसन्‍नता हुई। सादर।

आदरणीय श्री सौरभ जी 

सादर 

अब उम्र बचने की नहीं बचाने की है 

समझे नही समझाने की है 

मूर्ख और पागल भी जानता है की अपनी जीवन रक्षा कैसे की जाये. मैं भी जानता हूँ कि इस आयोजन का प्रयोजन क्या है . संदर्भ दिया है तदक्रम  में . कभी कभी मुश्किल हो जाता है मात्रा में बांधना और शब्द नही मिलते . वहाँ अपवाद नियम लेने का आधार लेते हैं.  बाढ  के पानी कुशल तकनीकियों  द्वारा बनाये गए उपाय नही रोक पाते नियम तोड़ कर ही राह दी जाती है. प्रसव काल में भी नियम बदले जाते हैं नही तों प्रतीक्षा करिये एक और मौत का . 

वरिष्ठ और कनिष्ठ का खेल पुराना है. विनष्ट होती संस्कृति सभ्यता नहीं बचा पाए . शाखा पर शाखा होती गयीं. दोषी कौन. चर्चा से कोई लाभ नहीं. 

सादर निवेदन था तों कर दिया. अन्यथा न लिया जाए, जो आज कल परिपाटी होती जा रही है. नुक्सान केवल साहित्य का ही होता है. व्यक्ति महत्वपूर्ण नही .

यह तो आप भी जानते होंगे कि अथ यानि कोई प्रारम्भ सदा अनुशासन से ही आकार पाता है, और, सधता है, स्वच्छंदता से नहीं, आदरणीय प्रदीपजी.

स्वच्छंदता और स्वतंत्रता का खूब ज्ञान है हमें और इस मंच पर मुझसे वरिष्ठों को भी. ऐसी बातों को अपने निवेदन का आधार न बनायें.

जिस स्वच्छंदता की बात आदरणीय गोपाल कृष्ण जी कर रहे हैं. अवश्य ही वह सतही स्वच्छंदता नहीं है. इसे समझना आवश्यक है. अन्यथा ऐसी ही भटकाव भरी चर्चायें होंगीं.

कोई मूर्ख या पागल क्या करता है या जानता है, इस पर न मुझे कुछ कहना है, न सुनना है, यह हम सब खूब जानते समझते हैं.  ऐसी चर्चायें इस मंच का हेतु भी नहीं हैं.

इस आयोजन का एक विशिष्ट उद्येश्य है, उसी लाइन पर चर्चा हो तो ठीक. वर्ना कोई तथ्य और चर्चा किसी काम की नहीं. 

आदरणीय, आपने कहा है कि कोई व्यक्ति महत्त्वपूर्ण नहीं..  यही तो हम कहते रहे हैं, आदरणीय. य मंच कहता रहा है. लेकिन मैं एक अरसे से देख रहा हूँ कि बार-बार आपके कहने में व्यक्ति ही महत्त्वपूर्ण होजाता है. इस पोस्ट में भी आपका व्यक्तित्व ही अनावश्यक रूप से महत्त्वपूर्ण है.

आदरणीय, आप काश विधा को महत्त्वपूर्ण बनाये होते. आज कुछ तथ्परक कह पा रहे होते.

सादर

आदरणीय श्री सौरभ जी 

सादर 

हमेशा आपका दिल से सम्मान किया है और हमेशा रहेगा. 

जय हो मंगलमय हो 

सादर 

मैं भी आपको सदा मान देता रहा हूँ, आदरणीय प्रदीपजी.. 

लेकिन हमारे सम्बधों का महती और मूल कारण साहित्य है. और, मैं इस प्रयास में कभी कोई हल्कापन या हल्की भाषा बर्दाश्त नहीं करता, यह आपको खूब मालूम है.

सादर्

वाह आदरणीय प्रदीप जी वाह, छंदोत्सव के उद्देश्य पर आपने एक झटके में मिट्टी डाल दी, अगर छंद रचा जा रहा हो तो मात्राओं में तो बंधना ही होगा अन्यथा सिंदूर कोई आँख में लगावे और काजल माँग में क्या फर्क पड़ता है ।
सादर।

आदरणीय श्री गणेश जी बाग़ी जी 

सादर 

सर्व प्रथम किसी टिप्पणी का औचित्य क्या है, संदर्भ देख कर ही संज्ञान में लेने की आदत होनी चाहिये, कागा कान ले गया ..जैसी बात पर नही .

बंधन प्रत्येक जगह और हरेक के लिए आवश्यक है. 

नियम, उप नियम बगैर जीवन बेकार, कोई शक. 

पर जीवन के कितने क्षेत्रों में नियम का पालन होता है, है व्यवहारिक. दिल पर हाथ रख कर. मन में ही जवाब सुरक्षित रखते रहिये. आत्मा जब कचोटेगी तब . जय हो. 

काजल का प्रयोग केश काला प्रसाधन खत्म हो गया हो तों बालों में करते देखा है. सिन्दूर को मांग के आलावा बदन पर मलते देखा है और जब मुहँ में चाले हो जाएँ तों औषधि के रूप में भी. सब्र संयम आदमी में निखार लाता है. गुरुता आती है. बात कहने का तरीका होता . बात संशिप्त की जा सकती है, क्रिया विशेषण की हमेशा जरूरत नही होती. गलत परंपरा का निर्वहन राष्ट्र के प्रति सर्वथा गलत होता है. अब ज्यादा नहीं, वर्ना मेरे आप के बीच का अंतर मिट जाएगा. 

आपकी आंधी के आगे मिटटी कहाँ ठहरेगी  मान्यवर वो खुद मिटटी हो जायेगा . शुभ शुभ. सही गलत की पहचान करना आसान नही होता , अभ्यास करिये. 

जय हो मंगल मय हो. सादर. 

आ० कुशवाहा जी, यदि आप इन बंधनों को नहीं मानते तो आप यहाँ कर क्या रहे हैं ?
यदि आप इस दिशा में कुछ सार्थक कर पाने में असमर्थ हैं तो आपकी उपस्थिति यहाँ बेमायनी है.
कृपया आयोजन को आयोजन रहने दें, किसी अखाड़े में परिवर्तित करने का प्रयास न करें।
थोड़ा कहे को बहुत समझें।

सादर आदरणीय श्री योगराज जी 

----------------------------------------

मैने हमेशा सीखने की मंशा से योगदान करने का प्रयास किया है, सदेव मर्यादा का पालन किया है . क्रिया विशेषण नहीं लगाया. 

और आप सहित तीनों विभूतिया मुझे सदेव पथ प्रदान करती रही हैं. खुले मंच पर ऐसी टिप्पणी से बचा जा सकता था. 

आप तीनों के मेरे प्रति अगाध प्रेम हेतु हमेशा आभारी था और रहूँगा  भी 

सादर, जय हो मंगलमय हो 

आदरणीय आपके प्रति हमारे मन में भी अगाध श्रद्धा है.  सही कहा आपने कि ऐसी स्थिति से बचना चाहिये.. तो किसी आयोजन में कुछ तिर्यक कह जाना क्या प्रतिभागियों पर विपरीत प्रभाव नहीं डालेगा ? ऐसा क्यों नहीं सोचा गया, आदरणीय ?

आप जानते हैं कि यह मंच साहित्य लेखन की करीब सभी विधाओं पर खुली चर्चा का हिमायती है. और आदरणीय, साहित्य विधायें अनुशासन और समर्पण मांगती हैं, सतत अभ्यास मांगती हैं, न कि अनावश्यक-सी स्वच्छंदता. जोकि तमाम साहित्यिक विधाओं पर प्रयास करने से भागे या डरे हुए लोगों की सोच और मानसिकता की उपज है. विधानों से अनुशासित साहित्यकार ही उच्च स्वच्छंदता का मान रख पाते हैं

सादर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
6 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहा सप्तक. . . . . मित्र जग में सच्चे मित्र की, नहीं रही पहचान ।कदम -कदम विश्वास का ,होता है…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर,…"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"गीत••••• आया मौसम दोस्ती का ! वसंत ने आह्वान किया तो प्रकृति ने श्रृंगार…"
23 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आया मौसम दोस्ती का होती है ज्यों दिवाली पर  श्री राम जी के आने की खुशी में  घरों की…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली अपने थीम के अनुरूप ही प्रस्तुत हुई है.  हार्दिक बधाई "
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली के लिए हार्दिक धन्यवाद.   यह अवश्य है कि…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी प्रस्तुति आज की एक अत्यंत विषम परिस्थिति को समक्ष ला रही है. प्रयास…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service