For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार 91 वां आयोजन है.   

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

17 नवम्बर 2018 दिन शनिवार से 18 नवम्बर 2018 दिन रविवार तक
 
इस बार के छंद हैं - 

हरिगीतिका छंद और शक्ति छंद  

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.  छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है,  चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो छन्द बदल दें.   

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

हरिगीतिका छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

शक्ति छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो  17 नवम्बर 2018 दिन शनिवार से 18  नवम्बर 2018 दिन रविवार तक यानी दो दिनों के लिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 4266

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

वाह! वाह!! वाह! बहुत ख़ूब ! बहुत ख़ूब ! छंद पढ़कर मज़ा आ गया । अभिभूत हो गया हूँ । बहुत सशक्त चित्रानुरूप वर्णन किया है आपने । मैं तो नि:शब्द हूँ ।

               दिली मुबारकबाद आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब । देरी की मुआफ़ी चाहता हूँ ।

जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,रचना आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ,आपकी प्रशंसा पाकर मुग्ध हूँ, सराहना के लिए बहुत बहुत आभार व धन्यवाद ।

शक्ति छंद (प्रथम प्रस्तुति)

निडर बेटियाँ
**********

सदा से जिसे वे झुकाए रखे
बिना दाँव खेले विजय को चखे
चलेगा नहीं अब दमन का असर
सभी बेटियाँ अब गईं हैं निखर 

 

अड़े थे कि अब जीतना है मुझे
गिराकर रहेंगे धरा पर तुझे
लगाए हुए थे तिलक भाल पर
अजब नाज़ था जीत की चाल पर

 

कहाँ अब नहीं हैं मुखर बेटियाँ
अखाड़ा चढ़ी हैं निडर बेटियाँ
अकड़कर भिड़े थे कि हैं हम ज़बर
गिरे धूल खाकर वहीं बेख़बर

 

अगर ये ज़माना कड़ा है बहुत
जिगर बेटियों का बड़ा है बहुत
सभी घर बनातीं सुघर बेटियाँ
दिलों को लुभातीं अमर बेटियाँ

 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

आदरणीय क़मर जौनपुरी साहब चित्रानुरूप बहुत बेहतरीन रचना का सृजन किया विशेषकर जिगर बेटियों का बड़ा है बहुत लाजबाब सृजन मनमोहक पंक्तियां दिली मुबारकबाद कुबूल कीजिए

बहुत बहुत शुक्रिया जनाब डॉ छोटेलाल सिंह जी

बहुत खूब आदरणीय कमर जौनपुरी जी शक्ति छंद पर शानदार सृजन।हार्दिक बधाई। 'विजय को चखा' करना ठीक होगा। ऊपर की पंक्ति मे 'था झुकाए रखा' कर सकते हैं।

बहुत बहुत आभार आदरणीया प्रतिभा पांडे जी। आपका सुझाव सहर्ष स्वीकार करता हूं।

प्रथम पंक्ति में "था झुकाये रखा" तथा द्वितीय पंक्ति में " विजय को चखा" पढा जाय।

आदरणीय क़मर जौनपुरी जी, आपकी किसी प्रस्तुति से मेरा पहली बार ग़ुज़रना हो रहा है. आपका पटल के आयोजन में सादर स्वागत है. 

प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करने के क्रम मे आपने शक्ति छंद पर बेहतर प्रयास किया है और शिल्प एवं संप्रेषणीयता का सक्षम निर्वहन हुआ है. 

हार्दिक शुभकामनाएँ व बधाइयाँ 

शुभ-शुभ

आदरणीय क़मर जौनपुरी आदाब,

                        प्रदत्त चित्रानुकूल बहुत ही लाजवाब चित्रण । बेहतरीन शैल्पिक सौष्ठव । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

जनाब क़मर जौनपुरी साहिब आदाब,प्रदत्त चित्र पर शक्तिछन्द का प्रयास बहुत उम्दा हुआ है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें।

' अड़े थे कि अब जीतना है मुझे 
गिराकर रहेंगे धरा पर तुझे
लगाए हुए थे तिलक भाल पर 
अजब नाज़ था जीत की चाल पर'

इस छन्द के पहले पद में 'अड़े थे'दूसरे पद में 'रहेंगे' तीसरे पद में 'थे' शब्द बहुवचन के हैं और अंत में 'मुझे' 'तुझे' एक वचन में,इस लिहाज़ से इस छन्द को यूँ होना था:-

'अड़ा था कि अब जीतना है मुझे

गिराकर रहूँगा धरा पर तुझे

लगाए हुए था तिलक भाल पर

अजब नाज़ था जीत की चाल पर'

वाह जनाबे मोहतरम समर कबीर साहब, उस्ताद वाली नज़र पड़ी और रचना धन्य हुई। बहुत बहुत शुक्रिया इतनी बारीकी से आलोचना करने के लिए।
अब मैं आगे से सभी रचनाओं में इसका ध्यान रखूँगा।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
Monday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
Monday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service