For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 26

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 26  में आप सभी का हार्दिक स्वागत है. प्रस्तुत चित्र अंतरजाल से साभार लिया गया है.

धज्जी-धज्जी  है  धरा,  दिखे  दग्ध  भूगोल ।

किन्तु मध्य से लुप्त है, अब पानी  अनमोल ॥

गर्मी बढ़ने के साथ ही सूखे का सितम बढ़ने लगता है. पानी की किल्लत से लोगों का जीना दूभर हो जाता है. एक ओर भरी गर्मी में लगातार बढ़ते जाते तापमान के कारण सूखते जाते जल-संग्रह क्षेत्र हैं तो दूसरी ओर गाँव-समाज के निरुपाय लोगों को मुँह चिढ़ाती मिनरल वॉटर कंपनियों पर पानी की किल्लत का कोई असर नहीं दिखता. यह असामनता अमानवीय ही नहीं राक्षसी है. आम लोगों के हक का पानी इन वॉटर कम्पनियों को धड़ल्ले से मिल रहा है. धरती की छाती चिथड़े हुए दीखती है. लोगों में पानी को लेकर अफ़रा-तफ़री है परन्तु इन कम्पनियों का धंधा जोरों पर है. कैसे ? कब गर्मी के शुरु होते ही पानी के लिए हाहाकार मचाने की विवशता खत्म होगी ?

तो आइये, उठा लें अपनी-अपनी लेखनी.. और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण ! और हाँ.. आपको पुनः स्मरण करा दें कि ओबीओ प्रबंधन द्वारा लिए गये निर्णय के अनुसार छंदोत्सव का आयोजन मात्र भारतीय छंदों पर आधारित काव्य-रचनाओं के आधार पर होगा.  कृपया इस छंदोत्सव में पोस्ट की गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों के साथ सम्बंधित छंद का नाम व उस छंद की विधा का संक्षिप्त विवरण अवश्य उल्लेख करें. ऐसा न होने की दशा में आपकी प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार कर दी जायेगी.

 

नोट :-
(1) 16 मई 2013 तक रिप्लाई बॉक्स बंद रहेगा, 17 मई 2013 दिन शुक्रवार से 19 मई 2013 दिन रविवार तक के लिए Reply Box रचना और टिप्पणी पोस्ट हेतु खुला रहेगा.

सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो, रचना मात्र भारतीय छंदों की किसी भी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है. हमेशा की तरह यहाँ भी ओबीओ के आधार नियम लागू रहेंगे तथा केवल अप्रकाशित एवं मौलिक सनातनी छंद ही स्वीकार किये जायेगें.

विशेष :-यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

अति आवश्यक सूचना :- ओबीओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-26, तीन दिनों तक चलेगा. आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य अधिकतम तीन रचनाएँ अर्थात प्रति दिन एक रचना स्वीकार की जा सकेगी, ध्यान रहे प्रति दिन एक रचना न कि एक ही दिन में तीन रचनाएँ. नियम विरुद्ध या निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी.

मंच संचालक

सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 14129

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

 व्यस्तता के वावजूद आपका रसिक मन छंद पढ़कर आनंद ले राह है | दोहे पसंद कर सराहने के लिए

आपका दिल से हार्दिक आभार आदरणीय श्री गणेश जी बागी जी 

आदरणीय लाडलीवाल जी बहुत ही उत्कृष्ट दोहे हैं। बहुत बधाई आपको!

 दोहे उत्कृष्ट बाता कर मान बढाने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री बृजेश नीरज जी 

सुन्दर दोहे कहे हैं अग्रज लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला जी, सुधि साथी आपकी इस प्रस्तुति पर काफी कुछ कह चुके हैं, अत: आप केवल मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें.

आदरणीय श्री योगराज भाई जी, प्रभु आपको स्वस्थ रखे | आपके सानिध्य में इस मंच से आदरणीय

विद्वजनो का सहयोग मिल रहा है | आपका ह्रदय से हार्दिक आभार |

लछमन के दोहे सभी,सुन्दर और पवित्र 

जल की महिमा गा रहे,कर परिभाषित चित्र.

आदरणीय लडीवाला जी, उत्तम दोहों के लिए बधाई...

दोहे पवित्र बता रहे, देखो मेरे मित्र

आभारी हूँ आपका, खीचा सुन्दर चित्र 

हार्दिक आभार स्वीकारे भाई श्री अरुण कुमार निगम जी  

आदरनीय लडिवाला जी सादर,

         अभिनव दोहों के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें. दोहों ने मनोरंजन के साथ साथ  उन पर  पर हुई जिज्ञासा युक्त चर्चा से  ज्ञान की अभिवृद्धि भी हुई है. धन्यवाद.

दोहो को अभिनव कहकर आपने दोहों का मन बढ़ा दिया है श्री सत्यनारायण शिवराम सिंह जी 

जिज्ञासा युक्त चर्चा पर विद्वजनों द्वारा राय साझा करने से सभी लाभान्वित हुए है | सादर  

आदरणीय गुरुजनों, सम्मानीय सदस्यों को प्रणाम सहित

इस छन्दोत्सव में मेरी  प्रथम प्रस्तुति छंद घनाक्षरी के रूप में है जो की एक वार्णिक छंद है जिसमें चार पद होते हैं और प्रत्येक पद में कुल ३१ वर्ण होते हैं तथा १६, १५ वर्णों में यति का विधान है,

 

सूखती है धरा आई गर्मी जब आग लिए

लता पता सूख सारा बाग़ मुरझाता है

मारती हवा है गर्म लू के थपेड़े मुंह पे

छूटता पसीना ऐसा चैन नहीं आता है

प्यास मारती है जोर भूख मर जाती है जी

सारे पकवान छोड़ छाछ पीना भाता है

कुंए ताल सूखते हैं हेंड पम्प फेल होते

दूर दूर राजू पानी भरने को जाता है

 

संदीप पटेल “दीप” 

आपका इस आयोजन में घनाक्षरी के साथ हार्दिक स्वागत है, संदीप पटेल भाईजी.. . 

लगता है आपका प्रयास भी हमसबों के प्रयास की तरह ही आशु-प्रयास हो गया है. सही है, हर रचनाकार के लिए समय बहुत बड़ा फैक्टर है. यों भी आपका सघन प्रयास हम सबों के लिए मानक सदृश है.

शुभेच्छाएँ.. .

आदरणीय गुरुदेव सादर प्रणाम 

आपकी प्रतिक्रिया का आशीष मिला मन प्रसन्न हो उठा 

ये सब आप विज्ञ जनों के कुशल मार्गदर्शन का प्रतिफल है इसके लिए मैं आपका सदैव आभारी हूँ 

ये स्नेह और आशीष यूँ ही बनाये रखिये

सादर प्रणाम 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो. . ये रौशन ज़मीरी अमल एक…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 171 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई श्यामनाराण जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"वाहहहहहह गुण पर केन्द्रित  उत्तम  दोहावली हुई है आदरणीय लक्ष्मण धामी जी । हार्दिक…"
Tuesday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
Tuesday
Shyam Narain Verma commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उस के नाम पे धोखे खाते रहते हो
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service