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आध्यात्मिक चिंतन Discussions (77)

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Raz Nawadwi: In the Labyrinth of My Mystical Alleys-3

What can be a better weapon to kill your adversaries than with your kindness? The ones so killed would always live in the awe of your unsun…

Started by राज़ नवादवी

0 Aug 6, 2013

Raz Nawadwi: In the Labyrinth of My Mystical Alleys-1 (Destiny is no third party)

Destiny is no third party! It is the steam of our own unconsumed and unworked out past in the form of subtle and intense thought waves of u…

Started by राज़ नवादवी

0 Aug 6, 2013

Raz Nawadwi: In the Labyrinth of My Mystical Alleys-2 (मेरी रहस्यवादी वीथी के व्यामोह में-२)

मुझे द्वंद्वों, द्वैतों, समासों, अपवर्त्यों, अथवा विभक्तियों में जीने की कोई आवश्यकता नहीं, जिन्हें जाने अनजाने मैंने स्वयं ही अपने ऊपर लाद…

Started by राज़ नवादवी

0 Aug 6, 2013

राज़ नवादवी: मेरी डायरी के पन्ने-५२

कई सोशल नेटवर्किंग साइट्स पे ढेर सारे धार्मिक और मजहबी पोस्ट आते रहते हैं और हैरत की बात है कि हर इंसान अपने ही धर्म को अच्छा कहता है. ....…

Started by राज़ नवादवी

0 Jul 28, 2013

Divine Love

Divine Love is a circle with its centre inside and circumference outside us!   दिव्य प्यार एक ऐसा वृत्त है जिसकी धुरी हमारे अन्दर और परिसीम…

Started by राज़ नवादवी

0 Jul 19, 2013

GOD "IS"

                                                 God "IS"   Ever wonder how every thing around us, in the big scheme, is in balance!   It…

Started by vijay nikore

0 Jun 22, 2013

धर्म की प्रासंगिकता

वर्तमान समय में धर्म के नाम पर लोगों में असहिष्णुता बढ़ती जा रही है। सभी अपने अपने धर्म को लेकर बहुत ही संवेदनशील हैं। अतः अक्सर धर्म के ना…

Started by ASHISH KUMAAR TRIVEDI

4 Apr 30, 2013
Reply by केवल प्रसाद 'सत्यम'

आखिर क्यों

एक समय था जब अक्सर मेरे ह्रदय में यह प्रश्न उठता था। हे प्रभु 'आखिर क्यों' तुमने मुझे यह जीवन दिया जिसमे इतनी तकलीफें हैं, इतना संघर्ष है,…

Started by ASHISH KUMAAR TRIVEDI

12 Apr 26, 2013
Reply by ASHISH KUMAAR TRIVEDI

हनुमान जयन्ती

हनुमान जयन्ती पर सभी भाविकों और राष्ट्र भक्तों को बधाई और शुभकामनाएं. अनुशासित और मर्यादित आचरण के अप्रतिम प्रतीक हैं श्री हनुमानजी महाराज,…

Started by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा

2 Apr 26, 2013
Reply by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा

’’मन और मन की अवधारणा’’

गतांक से आगे......भाग.2......मनुष्य को यदि चैतीस अक्षरों का ज्ञान है तो उसे यह समझना चाहिए कि उसे सारे वेदों और शास्त्रों आदि का ज्ञान हो च…

Started by केवल प्रसाद 'सत्यम'

0 Apr 25, 2013

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pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी _____ निवृत सेवा से हुए अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन से न बैठने दें पोतियाँ माँगतीं…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
12 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
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Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
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Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
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Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
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Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
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Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
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