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सदस्य टीम प्रबंधन सार छंद/ छन्न पकैया // --सौरभसार छंद एक अत्यंत सरल, गीतात्मक एवं लोकप्रिय मात्रिक छंद है. हर पद के विषम या प्रथम चरण की कुल मात्रा १६ तथा सम या दूसरे चरण की कुल मात्रा… Started by Saurabh Pandey |
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Feb 20, 2016 Reply by सतविन्द्र कुमार राणा |
सदस्य टीम प्रबंधन चौपाई : मूलभूत नियमप्रति चरण सोलह-सोलह मात्राओं का ऐसा छंद है जिसके कुल चार चरण होते हैं. यानि प्रत्येक चरण में सोलह मात्रायें होती हैं. चौपाई के दो चरणों क… Started by Saurabh Pandey |
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Jan 16, 2016 Reply by सतविन्द्र कुमार राणा |
सदस्य टीम प्रबंधन कामरूप छंद // --सौरभआज हम कामरूप छंद पर चर्चा करते हैं. इसे वैताल छंद के नाम से भी जाना जाता है. यह 26 मात्राओं के चार पदों का छंद है. दो-दो पदों पर तुकान्त… Started by Saurabh Pandey |
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Apr 27, 2015 Reply by Saurabh Pandey |
अर्थ गौरव की ऊर्जा है शब्द शक्तिरीतिकाल के आचार्य चिंतामणि ने कहा है - जो सुनि परे सो शब्द है समुझि परे सो अर्थ I इससे स्पष्ट होता है की सुनने और समझने के बीच… Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
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Apr 27, 2015 Reply by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
सदस्य टीम प्रबंधन रोला छंद : मूलभूत नियमरोला छंद भी मात्रिक छंद ही है. रोला छंद के चार पद और आठ चरण होते हैं. लेकिन इसका मात्रिक विधान दोहे के विधान का करीब-करीब विपरीत होता है.… Started by Saurabh Pandey |
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Apr 27, 2015 Reply by Saurabh Pandey |
सदस्य टीम प्रबंधन कुण्डलिया छंद : मूलभूत नियमकुण्डलिया एक विशिष्ट छंद है. यह वस्तुतः दो छंदों का युग्म रूप है. जिसमें पहला छंद दोहा, तो दूसरा छंद रोला होता है. यानि एक दोहा के दो पदो… Started by Saurabh Pandey |
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Apr 27, 2015 Reply by Saurabh Pandey |
विभावन-व्यापार में साधारणीकरण की प्रक्रियाहिन्दी-विक्षनरी के अनुसार विभावन-व्यापार रसविधान में वह मानसिक व्यापार है जिसके कारण पात्र में प्रदर्शित भाव … Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
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Apr 27, 2015 Reply by मिथिलेश वामनकर |
सदस्य टीम प्रबंधन कुकुभ छन्द के मूलभूत सिद्धांत // - सौरभकुकुभ छन्द अर्द्धमात्रिक छन्द है. इस छन्द में चार पद होते हैं तथा प्रति पद 30 मात्राएँ होती हैं. प्रत्येक पद में दो चरण होते हैं जिनकी यति… Started by Saurabh Pandey |
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Feb 20, 2015 Reply by Saurabh Pandey |
'रूपमाला रूपसी है, रास करता छंद'. :मदन-छंद या रूपमालामदन छन्द या रूपमाला एक अर्द्धसममात्रिक छन्द, जिसके प्रत्येक चरण में 14 और 10 के विश्राम से 24 मात्राएँ और पदान्त गुरु-लघु से होता है. इसक… Started by Er. Ambarish Srivastava |
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Jan 18, 2015 Reply by Dr.Prachi Singh |
सदस्य टीम प्रबंधन नवगीत ( एक परिचर्चा)नवगीत हिन्दी काव्यधारा की एक नवीन विधा है। नवगीत एक तत्व के रूप में साहित्य को महाप्राण निराला की रचनात्मकता से प्राप्त हुआ । इसकी प्रेरणा… Started by Dr.Prachi Singh |
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Nov 10, 2014 Reply by Rahul Dangi Panchal |
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