आज मैं शहर छोड़ आया उसका,
वो शहर जो हर पल मुझे,
बस याद उसकी दिलाता था,
वो शहर की जिसमें महकती थी,
बस उसी की खुशबू,
वो शहर जहां हर ओर उसके ही नगमे गूँजा करते थे,
वो वही शहर था जहां रहते थे,
बस चाहने वाले उसके,
आज भी बस शहर ही छूटा है उसका,
पर यादें अभी भी बाकी हैं किसी कोने में,
अपने इस नए शहर में भी बस,
उसकी ही परछाइयों कोई खोजता फिरता हूँ मैं,
बेशक शहर छोड़ दिया उसका मैंने,
पर इस नए शहर में भी मैं उसको ही खोजता हूँ,
बस शहर ही…
ContinuePosted on October 4, 2012 at 9:10pm — 4 Comments
आज डूबते हुए सूरज को एक बार फिर देखा,
लालिमा से भरा सूरज अलविदा कहता हुआ,
अब सूरज छुप जाएगा बस कुछ ही पलों में,
और आकाश में दिखने लगेगा चाँद वो सुंदर सा,
कभी कभी ये भ्रम भी होने लगता है,
की क्या चाँद और सूरज अलग अलग हैं,
या सूरज ही रूप रंग बदल लौट आता है,
और दो किरदार निभाता है अलग अलग तरह के,
जैसे फिल्मों में एक ही आदमी दो हो जाता है एक होते हुए भी,
आखिर क्यों नहीं ये दोनों एक साथ दिखते हैं,
ये सोचते सोचते ही नज़र खोजने लगी आकाश…
Posted on October 3, 2012 at 9:30pm — 2 Comments
आज चाँद दिखा आसमान में पूरा,
और वो बुढिया भी जो कात रही है,
सूत कई वर्षों से बैठी हुई तन्हा,
मैं हैरान हूँ, और परेशान भी,
क्या चाँद पर भी लोग हम जैसे ही रहते हैं,
क्या वहाँ भी बूढ़ों को यूं ही छोड़ दिया जाता है,
अकेला और तन्हा, विज्ञान कहता है कि,
कोई बुढ़िया नहीं रहती है चाँद पर,
पर मुझको तो मेरी माँ ने तो बचपन बताया था ,
सूत कातती उस बुढ़िया के बारे में,
वो चाँद मामा है हमारा हमने ये बचपन से सुना है,
तो…
ContinuePosted on October 2, 2012 at 9:00pm — 7 Comments
कई दिन की बारिश के बाद,
आज बड़ी अच्छी सी धूप खिली थी,
नीला सा आसमान,
जो भरा था कई सफ़ेद बादलों से,
कई लोगों ने अपने कपड़े,
फैला दिये थे सुखाने को छ्तों पर,
जो कई दिन से नमी से सिले पड़े थे,
याद आ ही गई बचपन की वो बात बरबस,
की जब कहा करते थे की,
बारिश होती है जब ऊपर वाला कभी रोता है,
फिर जब धूप खिलती थी,
और आसमान भर जाता था सफ़ेद बादलों से,
तब कहा करते थे की,
ऊपर वाले ने भी सुखाने डाली…
ContinuePosted on September 27, 2012 at 10:47pm — 4 Comments
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