जानता हूँ जगत मुझसे दूर होगा
पर तुम्हारे संग कुछ पल चाहता हूँ।
कठिन होगी यात्रा, राहें कँटीली,
व्यंजनायें मिलेंगी चुभती नुकीली,
कौन समझेगा हमारी वेदना को
नहीं देखेगा जगत ये आँख गीली,
प्यार अपना हम दुलारेंगे अकेले
बस तुम्हारे साथ का बल चाहता हूँ।
स्वप्न देखूँ कब रहा अधिकार मेरा
रीतियों में था बँधा संसार मेरा,
आज मन जब खोलना पर चाहता है
गगन को उड़ना नहीं स्वीकार मेरा,
भर चुके अपनी उड़ानें अभी सब…
ContinuePosted on October 20, 2013 at 11:19am — 17 Comments
आज फिर एक सफ़र में हूँ...
आज फिर किसी मंज़िल की तलाश में,
किसी का पता ढूँढने,
किसी का पता लेने निकला हूँ,
आज फिर...
सब कुछ वही है...
वही सुस्त रास्ते जो
भोर की लालिमा के साथ रंग बदलते हैं,
वही भीड़
जो धीरे-धीरे व्यस्त होते रास्तों के साथ
व्यस्त हो जाती है,
वही लाल बत्तियाँ
जो घंटों इंतज़ार करवाती हैं,
वही पीली गाड़ियाँ
जो रुक-रुक कर चलती हैं,
कभी हवा से बात करती हैं,
तो कभी साथ चलती अपनी सहेलियों से…
Posted on October 16, 2013 at 8:33am — 14 Comments
श्रांत मन का एक कोना शांत मधुवन-छाँव मांगे।
सरल मन की देहरी पर
हुये पाहुन सजल सपने,
प्रीति सुंदर रूप धरती,
दोस्त-दुश्मन सभी अपने,
भ्रमित है मन, झूठ-जग में सहज पथ के गाँव माँगे।
कई मौसम, रंग देखे
घटा, सावन, धूप, छाया,
कड़ी दुपहर, कृष्ण-रातें,
दुख-घनेरे, भोग, माया।
क्लांत है जीवन-पथिक यह, राह तरुवर-छाँव मांगे।
भोर का यह आस-पंछी
सांझ होते खो न जाये,
किलकता जीवन कहीं फिर
रैन-शैया सो न जाये।
घेर…
Posted on September 5, 2013 at 6:53am — 21 Comments
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आ0 मानोशी जी, सादर प्रणाम! आपकी उन्मुक्त धारा की प्रथम बूंद ’उन्मेष’ की सरलता, तरलता, गहनता, गंभीरता और उच्छश्रृंखलता के साथ ही साथ नम्रता, सहजता, भावुकता और एक तीक्ष्ण प्रहारक दृष्टि भी पढ़ने को मिला। जो एक कवि व लेखक के रूप में समाज उध्दारक और देश हितार्थ में स्वयं का जीवन समर्पित करने को तत्पर व लालायित है। आपको बहुत बहुत साधूवाद...। आपकी सहजता...’’लोग मुझको कहें खराब तो क्या। मैं जो अच्छा हुआ जनाब तो क्या।।’’....कोई खुशुबू कहीं से आती है। मेरे घर की जमीं बुलाती है।।...’’बड़े नाम हो, तुच्छ काम से, मान तुम्हारा कम होता है।’’....’जब मांगा था संग सभी का, तब कोई भी साथ नही था।’...’कोने मे है मां पड़ी, जैसे इक सामान...।’ ’घना कुहासा सा, छट जाता है।’ ..वाह!...वाह!..बहुत ही लाजवाब प्रस्तुति......ढेरों शुभकामनाओं सहित हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,
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सादर ।