For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Pradeep Bahuguna Darpan
  • Male
  • Rishikesh ,DEHRADUN ,UTTARAKHAND
  • India
Share on Facebook MySpace

Pradeep Bahuguna Darpan's Friends

  • शुभांगना सिद्धि
  • जितेन्द्र पस्टारिया
  • डॉ नूतन डिमरी गैरोला
  • वेदिका
  • आशीष नैथानी 'सलिल'
  • Parveen Malik
  • SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR
  • Shyam Bihari Shyamal
  • AjAy Kumar Bohat
  • आशीष यादव

Pradeep Bahuguna Darpan's Groups

 

Pradeep Bahuguna Darpan's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Rishikesh , Dehradun, UTTARAKHAND
Native Place
Rishikesh
Profession
Lecturer 0f Physics
About me
I am a Lecturer of physics having keen interest in literature And journalism . I write poems, articles and songs too.

Pradeep Bahuguna Darpan's Blog

ये क्या देखता हूँ

किसी बुरी शै का असर देखता हूं ।

जिधर देखता हूं जहर देखता हूं ।।

रोशनी तो खो गई अंधेरों में जाकर।

अंधेरा ही शामो शहर देखता हूं ।।

किसी को किसी की खबर ही नहीं है।

जिसे देखता हूं बेखबर देखता हूं ।।

ये मुर्दा से जिस्म जिंदगी ढो रहे हैं।

हर तरफ ही ऐसा मंजर देखता हूं ।।

लापता है मंजिल मगर चल रहे हैं।

एक ऐसा अनोखा सफर देखता हूँ।।

चिताएं चली हैं खुद रही हैं कब्रें।

मरघट में बदलते घर देखता हूं ।।

परेशां हूं दर्पण ये क्या देखता…

Continue

Posted on August 1, 2018 at 9:56pm — 4 Comments

कलम मेरी खामोश नहीं

कलम मेरी  खामोश नहीं, ये लिखती नई कहानी है।

इसमें स्याही के बदले मेरी, आंखों वाला पानी है।।

सृजन की सरिता इससे बहती

झूठ नहीं ये सच है कहती।

जीवन के हर सुख-दुख में ये,…

Continue

Posted on September 22, 2016 at 10:30am — 4 Comments

मसूरी के हिमपात पर

बर्फ की ये चादरी सफ़ेद ओढ़कर

पर्वतों की चोटियाँ बनी हैं रानियाँ

पत्ती पत्ती ठंड से ठिठुरने लगी,

फूल फूल देखिये हैं काँपते यहाँ ।



काँपती दिशाएँ भी हैं आज ठंड से,

बह रही हवा यहाँ बड़े घमंड से ।

बादलों से घिरा घिरा व्योम यूं लगे,

भरा भरा कपास से हो जैसे आसमाँ।। पर्वतों की .....



धरती भी गीत शीत के गा रही,

दिशा दिशा भी मंद मंद मुस्कुरा रही।

झरनों में बर्फ का संगीत बज उठा,

और हवा गा रही है अब रूबाईयाँ॥ पर्वतों की .....…



Continue

Posted on January 23, 2014 at 9:30pm — 5 Comments

साँझ से संवाद

नव निशा की बेला लेकर,

साँझ सलोनी जब घर आयी।

पूछा मैंने उससे क्यों तू ,

यह अँधियारा संग है लायी॥

सुंदर प्रकाश था धरा पर,

आलोकित थे सब दिग-दिगंत।

है प्रकाश विकास का वाहक,

क्यों करती तू इसका अंत॥

जीवन का नियम यही है,

उसने हँसकर मुझे बताया।

यदि प्रकाश के बाद न आए,

गहन तम की काली छाया॥

तो तुम कैसे जान सकोगे,

क्या महत्व होता प्रकाश का।

यदि विनाश न हो भू पर,

तो कैसे हो…

Continue

Posted on July 28, 2013 at 11:00am — 6 Comments

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 9:05pm on December 24, 2011, Admin said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service