चार पदों तथा दो-दो पदान्तता वाले शक्ति छन्द में प्रति पद कुल अट्ठारह मात्राएँ होती हैं. छन्द परम्परा के अनुसार -
१. इस छन्द में पद का प्रारम्भ लघु से होना अनिवार्य है.
२. प्रत्येक पद में पहली, छठी, ग्यारहवीं तथा सोलहवीं मात्राएँ अवश्य लघु होती हैं.
३. पदान्त सगण (सलगा या ।।ऽ या ११२ या लघु-लघु-गुरु) या रगण (राजभा या ऽ।ऽ या २१२ या गुरु-लघु-गुरु) या नगण (नसल या ।।। या १११ या लघु-लघु-लघु) से होता है.
४. पदों में गेयता को सहज और सुप्रवाहित रखने के लिए लघु के अलावा गुरु अथवा दीर्घ अक्षरों का होना अथवा द्विकलों का होना महत्त्वपूर्ण होता है. अन्यथा पदों में आवश्यक लघुओं के अलावा आये लघु अक्षर यदि नियत ढंग से समायोजित न किये गये तो लयभंग की स्थिति बन जाती है. छंदभंगता छांदसिक रचनाओं के लिए नेष्ट है.
तात्पर्य है, शक्ति छन्द के लिए उर्दू बहर के अनुसार प्रत्येक पद/ पंक्ति को १२२ १२२ १२२ १२ के भार में निबद्ध किया जाय तो रचना-प्रयास सार्थक होता है.
शक्ति छन्द का उदाहरण -
सहज भाव से तुम अचानक मिले
लगा, पुष्प तन में हजारों खिले
लगी तन-बदन से सिहरती हुई
सुगंधित हवा फूल-कलियाँ छुई
नहीं अंत-प्रारम्भ था बात का
पुलकता रहा हर सिरा रात का
सितारे सँजोये मुई रात भी
लगी सज-सँवरने.. मिले हम कभी..
ज्ञातव्य: आवश्यक जानकारियाँ उपलब्ध साहित्य से प्राप्त हुई है
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--सौरभ
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नया छंद सीखा भला सा लगा
नई कामना से सवेरा जगा
उजाला नया है नई है दुआ
नई भावना ने मुझे है छुआ
आदरणीय सौरभ सर, नए छंद से परिचित कराने के लिए हार्दिक आभार, नमन
उत्साहवर्द्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मथिलेशभाई.
सौरभ सर आप हर बार साहित्य का एक नया खजाना खोज के लाते है । आपकी साहित्य के क्षेत्र मे अपार जानकारी के हम सब कायल हैं।
ये हमारा सौभाग्य है , आप अपनी जानकारिया हम सब से शेयर करते है ।
सादर ...
नादिर भाई, यह तो हमारा सौभाग्य है कि हम आप जैसे रचनाकर्मियों को संतुष्ट कर पाते हैं.
उत्साहवर्द्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद.
sunder
ye naya chhand...Saurabh ji
dhanywad
आदरणीय पाण्डेय जी
नये छंद से परिचित कराने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद |
क्या छंद विधान में उर्दू की तरह ही हिंदी गणों में भी बहन की मात्रा १२ या कमल की मात्रा १२ होता है या विशेष छंदों में ही ये प्रावधान संभव है |
सादर
आप एकदम ठीक समझे, आ.श्याम नारायणजी. छन्द विधान के अनुसार बहन या कमल १२ न हो कर १११ ही होते हैं. लेकिन शब्द-कल के हिसाब से इसे समझना आवश्यक है.
बहुत बहुत आभार आदरणीय सादर |
नवीन जानकारी के लिए हृदयतल से आभार आपका सौरभ जी.
शक्ति छंद विधान से गुजरते हुए-
चलो हम बना दें नई रागिनी।
सजा दें सुरों से हठी कामिनी।।
सुनाएं नई तान इक मदभरी।
तमस भूल जाए निशा बावरी।।
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