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"ओ बी ओ भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता" अंक-1भोजपुरी साहित्य प्रेमी लोगन के सादर प्रणाम, जइसन कि रउआ लोगन के खूब मालूम बा, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार अपना सुरुआते से साहित्य-समर्थन आ साहि… Started by AdminLatest Reply |
मुख्य प्रबंधक "OBO लाइव विश्व भोजपुरी कवि सम्मेलन" (Now Close)भोजपुरी साहित्य प्रेमी लोगन के सादर परनाम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार पिछला कई महिना से हर महीने सफलता पूर्वक "OBO लाइव मुशायरा" अउर "OBO लाइ… Started by Er. Ganesh Jee "Bagi"Latest Reply |
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वाह रे उद्योगपति कईलs लोग बढ़िया काम...वाह रे उद्योगपति कईलs लोग बढ़िया काम , शहद में जहर मिलवलs कईलs अइसन काम, हमनी के विश्वास कईनीसन आँख बंद करी के , दुश्मन दोस्त खुबे लुटलs हमद… Started by Rash Bihari Ravi |
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Oct 30, 2023 Reply by Riju Nag |
भोजपुरी गजलभोजपुरी गीतिका/गजलमनब कि ना मनब, तू बेशी अगरइब?आइल बा बुढ़ापा,अब गरहा में जइब।1 खोज तारअ फूल अब कहाँ पहुँचइब?नजर धुंधला गइल,सूँघब कि सटइब?2… Started by Manan Kumar singh |
0 | Sep 28, 2022 |
सदस्य टीम प्रबंधन भोजपुरी नवगीत - जे महाभारत मचल बा // सौरभजे महाभारत मचल बा बऽड़-बड़का खेत भइले.. आमजन के बात का ? जजबात का ? नस-धमनियन में बहत माहुर सभन के माथ से चुइ बन पसीना पोर-पोरे खात बा, चल र… Started by Saurabh Pandey |
0 | Apr 4, 2022 |
सुनीं सुनीं सरकार : आशीष यादवसुनीं सुनीं सरकार हम बानी बेरोजगार तनी सुनी ना पुकार देई जिनिगी सुधार फारम भरले साल बीतल जिनिगी बेहाल बीतल तोहरा के का बुझाई जेकर ख… Started by आशीष यादव |
0 | Jan 30, 2022 |
सदस्य टीम प्रबंधन पापा के नाँवे // सौरभका बोलीं का हाल हम, रउरे पाटल खेतपापा अपना पूत के, सोचब दँवरी देत टूसा-कोंढ़ी फूल-फल, अङनों अनधन बाढ़िपापा रउरा हाथ के, फुला रहल सभ डाढ़ि… Started by Saurabh Pandey |
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Jul 14, 2021 Reply by Saurabh Pandey |
सदस्य टीम प्रबंधन गजल (भोजपुरी) // -सौरभ१२२ १२२ १२२ १२२ रटौले रटल बा नियम का ह, मत का ? बुझाइल कबो ना सही का, गलत का ! सियासत के सोझगर गनितओ बुझाई गुना-भाग छोड़ीं, बताईं जुगत का ?… Started by Saurabh Pandey |
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Feb 25, 2021 Reply by Aazi Tamaam |
कवनो देश नाहीं सुघ्घर हिंदुस्तान से (पैरोडी)सबसे सुंदर लुभावन पावन, इ बा मनभावन, कि सगरो जहान से कौनो देश नाही सुघ्घर हिंदुस्तान से उत्तर में देखा हो, हिमालय जेकर माथ बा दक्षिण में फ… Started by आशीष यादव |
0 | Feb 8, 2021 |
सदस्य टीम प्रबंधन पाँच गो फरकल दोहा // --सौरभलबरहिया के बात का, बकरी वाली फोंsह सगर चरित्तर नासि के, छछनो कढ़ली घोंsह कुकुर जमाती राति-दिन, भूँक बतासे भूँक भइल असामी मोट, भा, भालू… Started by Saurabh Pandey |
0 | Oct 7, 2020 |
कइसे होई गंगा पारजिनिगी भर बस पाप कमइला कइसे करबा गंगा पार जुलुम सहे के आदत सभके के थामी हाथे हथियार केहू नाही बनी सहाई बुझबा जब खुद के लाचार काम न कर… Started by आशीष यादव |
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Aug 19, 2020 Reply by आशीष यादव |
होली -गीतअइसन मौसम आइल बा मनवा अब फगुआइल बा।1 खिल रहल बा कली गुलाबी भौंरा खूब अगराइल बा।2 टहले के मिलल तब निमन नाहीं तब गभुआइल बा।3 कर रहल मनुहार गु… Started by Manan Kumar singh |
0 | Dec 19, 2017 |
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