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हुस्न का है गुलिस्ताँ इश्क की नज़र है ये,
दिलों को दिल से जोड़ता लखनऊ शहर है ये,
लोगों को पुकार कर जो कह रहा है प्यार कर,
हो दोस्ती का वास्ता तो अपनी जाँ निसार कर,
दिल के रिश्तों पर लगी विश्वास की मुहर है ये,…
ContinuePosted on October 23, 2012 at 10:40am — 4 Comments
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सदस्य कार्यकारिणीमिथिलेश वामनकर said…
ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
हम दिल दे चुके सनम ....स्वागत है मित्र
सादर सस्नेह
नमस्कार.. स्वागत है समीर जी