For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Nazeel
  • Male
  • Dabwali , Haryana
  • India
Share on Facebook MySpace

Nazeel's Friends

  • Kiran Arya
  • Yogyata Mishra
  • dilbag virk
  • AjAy Kumar Bohat
  • आशीष यादव
 

Nazeel's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Sirsa , Hry
Native Place
Masitan
Profession
photography
About me
nothing special

Nazeel's Photos

  • Add Photos
  • View All

Nazeel's Blog

बहुत कुछ दांव पे लगाया है .....

१ २ २ २ १२ १ २२२
बड़ी मुश्किल उसे मनाया है ॥
बहुत कुछ दांव पे लगाया है ॥
किसे कहते कि बेवफा है वो ,
हँसा हम पे जिसे बताया है ॥
बसा दिल-ओ-दिमाग में वो ही ,
अचानक सामने जो आया है ॥
लगे ऐसा हमें खुदा ने उसे ,
हमारे के लिए बनाया है ॥
हुआ है एहसास जन्नत का ,
जो माँ ने गोद में सुलाया है ॥
कहाँ होशो-हवास की बातें ,
किसी पे जब शबाब आया है ॥
लगे है वो पवित्र गंगा सा ,
करिंदा जो पसीने से नहाया है ॥
मौलिक /अप्रकाशित

Posted on April 7, 2015 at 9:30pm — 15 Comments

वो सताए है मुझे यादों में शामो - सहर ..... Nazeel



२१२२  २१२२  २१२२  २१२

जिंदगी मेरी कहाँ जाके गई है तू ठहर ॥

ले गई है फिर वहां ,जो छोड़ आया था  शहर



है खुदा भी एक ,एक ही आसमां , एक ही  ज़मीं

सरहदों पर किस लिए हमने मचाया है  कहर   



मारता आया है बरसों  बाद भी अक्सर  हमें ॥

घुल गया था जो दिलों  में  लकीरो  का जहर



भूल कर भी भूल सकता हूँ भला कैसे  उसे  ,

वो सताए है मुझे यादों में शामो - सहर



वायदा करके नहीं आये अभी तक क्यों  भला ,

यूँ अकेला बैठ…

Continue

Posted on April 1, 2015 at 8:44pm — 16 Comments

वो वायदे गिनने लगे हैं आज कल...

२२१२ २२१२ २२१२

खामोश से रहने लगे हैं आजकल ॥

हम रात भर जगने लगे हैं आजकल ॥

इन महफ़िलों को क्या हुआ किसको पता ,

सब  चेहरे ढलने लगे है आजकल ॥

सदियों से लूटा है खुदा के नाम पे ,

तो कब नया ठगने लगे है आज कल ॥

निभते नहीं हैं जो सियासत में कभी ,

वो वायदे गिनने लगे हैं आज कल ॥

कैसे कहें , कितना चाहें हैं उसे ,

बस सोच के डरने लगे हैं आज कल ॥

मालूम होता तो बता पाते तुझे ,

वो दूर क्यों हटने…

Continue

Posted on March 21, 2015 at 9:30pm — 10 Comments

माना होता खुदा को एक हमने

2222 1222 1222

लोगों को लूटने का फ़लसफ़ा होता ||

तो अपने नाम पर बाबा लगा होता ||

तूं तूं - मैं मैं न होती इस कदर हम में ,

तेरा मेरा अगर इक रास्ता होता ||

माना होता खुदा को एक हमने तो ,

फिर घर न कोई किसी का जला होता ||

उनको आया नज़र फर्के- लिबासां ही ,

काश !ये इक रंग का खूं भी दिखा होता ||

फिर मैं भी मानता परवाह है उसको ,

ग़र आंसू पोंछ बांहो में कसा होता ||

समझौता कर लिया हालात से…

Continue

Posted on March 15, 2015 at 8:00pm — 11 Comments

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 9:06pm on December 14, 2011, Admin said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service