For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

sunita dohare
  • Female
  • lucknow , u.p.
  • India
Share on Facebook MySpace

Sunita dohare's Friends

  • atul kushwah
  • vijay nikore
  • अनुपम ध्यानी
  • Pankaj Trivedi
 

sunita dohare's Page

Profile Information

Gender
Female
City State
lucknow
Native Place
auraiya
Profession
Management Editor at IHL News
About me
मेरे जीवन का सिद्धांत है कि .......जिन्दगी में कुछ भी असंभव नहीं ! बस उस तक पहुँचने का जज्बा होना चाहिए !!!!!!!

Comment Wall

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

  • No comments yet!

Sunita dohare's Blog

सिंदूर की लालिमा (अंतिम भाग )...

सिंदूर की लालिमा (अंतिम भाग )........                                         गतांक से आगे.......

मेरा मन सिर्फ मनु को सोचता था हर पल सिर्फ मनु की ख़ुशी देखता था हर घड़ी अन्जान थी मैं उन दर्द की राहों से जिन राहों से मेरा प्यार चलकर मुझ तक आया था ! मेरे लिये तो मनु का प्यार और मेरा मनु पर अटूट विस्वास ही कभी भोर की निद्रा, साँझ का आलस और रात्रि का सूरज, तो कभी एक नायिका का प्रेमी, जो उसे हँसाता है, रिझाता है और इश्क़ फरमाता है, कभी दुनियाभर की समझदारी की बातें कर दुनिया को अपने…

Continue

Posted on May 16, 2015 at 1:30am — 2 Comments

सिन्दूर की लालिमा ( पहला हिस्सा )

मेरी कल्पनाये हर पल सोचतीं है, व्यथित हो विचरतीं हैं

बैचेन हो बदलतीं हैं, दम घुटने तक तेरी बाट जोहती हैं 

लेकिन फिर ना जाने क्यूँ, तुझ तक पहुँच विलीन हो जातीं है

सारी आशाएं पल भर में सिमट के, दूर क्षितिज में समा जातीं है

एक नारी मन की भावनाएं उसकी कल्पनाओं में सजती और संवरती है और उन कपोल कल्पित बातों को एक कवि ही अपनी रचना में व्यक्त कर सकता है मेरे कवी मन ने भी कुछ ऐसा ही लिखने की सोची और फिर शुरू हुई कलम और कल्पना की सुरमई ताल ! लेकिन मन ना लगा तो मैं बाहर निकल आई…

Continue

Posted on May 14, 2015 at 12:30am — 7 Comments

पापा तुम बहुत याद आते हो ...

पापा तुम बहुत याद आते हो ..

समय की बेलगाम रफ़्तार ने 

पापा आपकी छत्रछाया से 

साँसों के प्रवाह से 

आपको मुक्त कर दिया 

दुनिया कहती हैं कि ईश्वर है कहाँ ?

शायद दुनिया पागल हैं 

पर पापा आप ही तो ईश्वर का रूप हो 

मुझसे पूछे ये दुनिया, जब पिता नहीं होते 

तो ईश्वर के नाम से जाने जाते है 

आपके जाने के बाद 

तमाम कोशिशों के बावजूद 

सामने की दीवार पे 

आपकी तस्वीर नहीं लगा…

Continue

Posted on April 29, 2015 at 1:30pm — 14 Comments

बन जाए मेरा भाई सूरज, सज जाए मेरी भी डोली

किरणें चित्र उकेरें अँगना, है प्रीत तेरी हमें बांधन निकली 

धरती का मैं लहंगा सिला लूँ, हरियाली की पहनूं चोली

अम्बर की बन जाए ओढ़नी, देखूं फिर नववर्ष रंगोली

तारों की मैं माला गूंथुं, चाँद बने बिंदिया की रोली

बने चांदनी मेरी मेहँदी, सज जाए मेरी भी हथेली

नेह झड़ी की आस लगाए, सुलगी जाए मरी दूब हठीली

सूरज को मैं बांधू राखी, फिर घोलूं किरणों की शोखी

बन जाए मेरा भाई सूरज, सज जाए मेरी भी डोली..... 

केसर रंग में मांग सजाऊं, देख घटा की अलक…

Continue

Posted on January 26, 2015 at 2:30pm — 14 Comments

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
7 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service