बिचार (छुआ-छूत विषयाधारित कथा)
मेज पर कहीं से परोसा आया रखा था..
“ये कहाँ से आया अम्मा?” भोजन सूघतें हुए मयंक ने पूछा.
“अरे वो पड़ोस से आया है सेठ जी की बरसी थी ना..”माँ ने बताया.
“मैं खा लूँ?”मयंक ने पूछा.
माँ के उत्तर देने से पहले दादी बोल उठी,
“राम राम, ‘उन लोगों’ के घर का खायेगा जिनके यहाँ आज भी जूते गांठे जाते हैं.”
“दादी उनके यहाँ लघु-उद्योग कारखाना है जूते नहीं गांठे जाते.”
मंयक ने खाना परोसते हुए कहा.
“तो…
Added by Seema Singh on January 19, 2016 at 6:00pm — 8 Comments
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