For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिनेश कुमार's Blog – January 2017 Archive (4)

ग़ज़ल -- "दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है" ( दिनेश )

2122--1212--22



ग़ज़ल .....



ज़िन्दगी क्या है औ'र क़ज़ा क्या है

कौन जाने ये माजरा क्या है



एक जलता हुआ चराग़ हूँ मैं

मुझको मालूम है... हवा क्या है



हक़-परस्ती गुनाह था मेरा

मैं हूँ हाज़िर..बता सज़ा क्या है



दर्दे-जाँ ने भी आज पूछ लिया

ज़ब्त की तेरे इंतेहा क्या है



नाव साहिल प आके डूब गई

इसमें तूफ़ान की ख़ता क्या है



झूट लालच फ़रेब चालाकी

देख इन्सान में बचा क्या है



तेरी मरज़ी से कुछ… Continue

Added by दिनेश कुमार on January 30, 2017 at 9:00pm — 10 Comments

ग़ज़ल -- मिसाले-ख़ाक-बदन वक़्त के ग़ुबार में थे ( दिनेश कुमार )

1212--1122--1212--22

~~~~~~~

~~~~~~~

मिसाले-ख़ाक सभी वक़्त के ग़ुबार में थे

न जाने कौन थे हम और किस दयार में थे

~~

न शख़्सियत के सभी रंग इश्तिहार में थे

जो रहनुमा थे.. सियासत के कारो-बार में थे

~~

अँधेरा शह्र में बे-ख़ौफ़ रक़्स करता रहा

चराग़ सारे... हवाओं के इख़्तियार में थे

~~

बताओ मज़िले-मक़सूद किस तरह मिलती

तरह तरह के मनाज़िर जो रहगुज़ार में थे

~~

निशान-ए-आब नहीं था वहाँ पे दूर तलक

हयातो-मर्ग के हम ऐसे रेग-ज़ार… Continue

Added by दिनेश कुमार on January 16, 2017 at 6:30pm — 5 Comments

ग़ज़ल -- मैं अगर क़तरा हूँ दरिया कौन है ( दिनेश कुमार )

2122--2122--212



जो समेटे मुझको ऐसा कौन है

मैं तो इक क़तरा हूँ दरिया कौन है



ग़ौर से परखो मेरे किरदार को

मुझ में ये मेरे अलावा कौन है



कश्तियों का है सहारा नाख़ुदा

नाख़ुदाओं का सहारा कौन है



कृष्ण से मिलने की चाहत है किसे

द्वारिका में अब सुदामा कौन है



पत्थरों में आग बेशक है छिपी

ध्यान से इनको रगड़ता कौन है



सामने है पूर्वजन्मों का हिसाब

कौन है अपना, पराया कौन है



ज़हन में जिसके भरा है ' मैं ' ही… Continue

Added by दिनेश कुमार on January 9, 2017 at 10:00pm — 9 Comments

ग़ज़ल -- जुमलों के तरकश ने तीर उछाले हैं ( दिनेश कुमार 'दानिश' )

22--22--22--22--22--2



जुमलों के तरकश ने तीर उछाले हैं

अच्छे दिन क्या सचमुच आने वाले हैं



नागनाथ और साँपनाथ में फ़र्क नहीं

तन उजले लेकिन मन इनके काले हैं



साँपों को भी दूध पिलाते हैं अक्सर

ज़ह्नों पर हम सब के कैसे ताले हैं



रोटी की फिर देखो बंदरबाँट हुई

कुछ भूखों के मुँह से छिने निवाले हैं



राहनुमा की शक़्ल में रहज़न हैं सारे

रात की आहट से ही डरे उजाले हैं



बारिश से बचते हैं जब तक रँगे सियार

शेर को भी तब… Continue

Added by दिनेश कुमार on January 3, 2017 at 10:00pm — 13 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2018

2017

2016

2015

2014

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आदरणीय नीलेश नूर भाई, आपकी प्रस्तुति की रदीफ निराली है. आपने शेरों को खूब निकाला और सँभाला भी है.…"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहों पर दोहे लिखे, दिया सृजन को मान। रचना की मिथिलेश जी, खूब बढ़ाई शान।। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service