हमको यह गुमा था की हम है दिलो के खरेदार…
ContinueAdded by Kiran Arya on January 20, 2012 at 3:19pm — 4 Comments
तुम्हारी हर आजमाइश के आगे हम सर झुकाते चले गए
सोचा यह आजमाइश ही सच्चे प्रेम की निशानी है
इक आजमाइश पर उतरकर खरे खुश होने से पहले ही
तुम एक और आजमाइश संग खड़े मुस्काते नज़र आये
हम फिर जुट गए उस पर खरा उतरने की जुगत में
जब होने लगा यकीन तुम्हे प्यार पे मेरे आजमयिशो से परे
तुम लगे सोचने ख़त्म करने को सिलसिला आवाजाही का
तब तक मन का जीव मुक्त हो चुका था हर आजमाइश से
और सिर्फ खुली हुई आंखें मेरी रह गई बैचैनी का मंज़र लिए
पूछती एक ही ही…
ContinueAdded by Kiran Arya on January 17, 2012 at 10:59am — 5 Comments
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