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Nilesh Shevgaonkar's Blog – January 2022 Archive (2)

ग़ज़ल नूर की- ज़ुल्फ़ों को ज़ंजीर बना कर बैठ गए

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ज़ुल्फ़ों को ज़ंजीर बना कर बैठ गए

किस किस को हम पीर बना कर बैठ गए.

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यादें हम से छीन के कोई दिखलाओ

लो हम तो  जागीर बना कर बैठ गए.  

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दुनिया की तस्वीर बनानी थी हम को

हम तेरी तस्वीर बना कर बैठ गए.  

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मौक़ा रख कर भेजा था नाकामी में

आप जिसे तक़दीर बना कर बैठ गए.

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मैंने कॉपी में इक चिड़िया क्या मांडी

दुनिया वाले तीर बना कर बैठ गए.

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चलती फिरती मूरत देख के हम नादाँ

मंदिर की तामीर बना कर बैठ गए.

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हँसते…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on January 23, 2022 at 9:02am — 2 Comments

ग़ज़ल नूर की- कहीं ये उन के मुख़ालिफ़ की कोई चाल न हो

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कहीं ये उन के मुख़ालिफ़ की कोई चाल न हो

सो चाहते हैं कि उन से कोई सवाल न हो.

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कोई फ़िराक़ न हो और कोई विसाल न हो

उठे वो मौज कि अपना हमें ख़याल न हो.   

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तेरी तलब में हमें वो मक़ाम पाना है

कि लुट भी जाएँ तो लुट जाने का मलाल न हो.

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हमें सफ़र जो ये बख़्शा है क्या बने इसका

न हो उरूज अगर इस में या ज़वाल न हो.

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बशर न हो तो ख़ुदा भी न हो जहाँ में कोई 

न हो जहाँ में ख़ुदा तो कोई वबाल न हो.

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मैं चाहता हूँ ये दुनिया वहाँ…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on January 12, 2022 at 9:00am — 4 Comments

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