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Anand murthy's Blog – January 2015 Archive (3)

विकट विरल है राह .................

विकट विरल है  राह  कठिन कदम कदम कुहासा है

खड़ा मुसाफिर मुश्किल में वो बेबस बहुत रूआंसा है

संयम और सहजता से निरंतर नित निज काम करो

शनै शनै पुरजोर प्रयासों से प्रज्ज्वलित इक आशा है

संकल्पों के यज्ञकुंड में श्रमनीर का  अर्घ्य दान करो

दिनकर दिलबर रश्क करे जिन्दगी की यह परिभाषा है

अरमानों के बीज रोप कर  सींचो  रोज  पसीने से

छ्टे कुहासे साफ़ डगर स्फुटन अंकुर की अभिलाषा है

@आनंद ०७/०१/२०१५ "मौलिक व…

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Added by anand murthy on January 24, 2015 at 1:30pm — 9 Comments

बाती मैं ....

दिये की बाती मैं

धुए में घिर जाती हूं

कुछ पल को घबराती

तो कुछ पल इठलाती हूँ

चीर तिमिर की छाती मैं

भू को ज्योतिर्मय कर जाती हूँ

अनिल तूफानी तेज हुए

भावुक मन और उत्तेजित हुए

ज्योति शिखर पे नर्तन करती

लिपट दिये के अंतस में

क्षण भर को शर्माती

और सहज धीर बढ़ाती हूँ

राग अनोखे गाती मैं

रागिनी को अपना पाती हूँ

आह समेटे... चाह लिए

क्षणभंगुर आतुर जीवन में

खाक हुई... पीर छिपाई

ज़र्रे ज़र्रे को रोशन करती

अपलक रास रचाती…

Continue

Added by anand murthy on January 13, 2015 at 8:45pm — 8 Comments

होगा सबको हर्ष.....

होगा सबको  हर्ष

जब होगा नव वर्ष

होगा सवेरा नवीन

संध्या होगी नवीन

दिवस  भी नया

होगी रजनी नई

गगन  भी नया

निर्मल सरिता नई

हिमांशु  नवीन  

रवि होगा नवीन

मुस्कुराए  वरुण  

रश्मि होगी अरुण

वे उर्मिल  किरण

करें आकांक्षी वरण

कोई हो न संकीर्ण  

होवें  पूर्ण  प्रवीण

आलोकित हो ......

खुशियों  की उमंग

रहे  बजता  मृदंग

बूढ़े बच्चे सब संग

झूमें खेलें नव रंग...

न…

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Added by anand murthy on January 4, 2015 at 12:30pm — 8 Comments

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