विकट विरल है राह कठिन कदम कदम कुहासा है
खड़ा मुसाफिर मुश्किल में वो बेबस बहुत रूआंसा है
संयम और सहजता से निरंतर नित निज काम करो
शनै शनै पुरजोर प्रयासों से प्रज्ज्वलित इक आशा है
संकल्पों के यज्ञकुंड में श्रमनीर का अर्घ्य दान करो
दिनकर दिलबर रश्क करे जिन्दगी की यह परिभाषा है
अरमानों के बीज रोप कर सींचो रोज पसीने से
छ्टे कुहासे साफ़ डगर स्फुटन अंकुर की अभिलाषा है
@आनंद ०७/०१/२०१५ "मौलिक व…
ContinueAdded by anand murthy on January 24, 2015 at 1:30pm — 9 Comments
दिये की बाती मैं
धुए में घिर जाती हूं
कुछ पल को घबराती
तो कुछ पल इठलाती हूँ
चीर तिमिर की छाती मैं
भू को ज्योतिर्मय कर जाती हूँ
अनिल तूफानी तेज हुए
भावुक मन और उत्तेजित हुए
ज्योति शिखर पे नर्तन करती
लिपट दिये के अंतस में
क्षण भर को शर्माती
और सहज धीर बढ़ाती हूँ
राग अनोखे गाती मैं
रागिनी को अपना पाती हूँ
आह समेटे... चाह लिए
क्षणभंगुर आतुर जीवन में
खाक हुई... पीर छिपाई
ज़र्रे ज़र्रे को रोशन करती
अपलक रास रचाती…
Added by anand murthy on January 13, 2015 at 8:45pm — 8 Comments
होगा सबको हर्ष
जब होगा नव वर्ष
होगा सवेरा नवीन
संध्या होगी नवीन
दिवस भी नया
होगी रजनी नई
गगन भी नया
निर्मल सरिता नई
हिमांशु नवीन
रवि होगा नवीन
मुस्कुराए वरुण
रश्मि होगी अरुण
वे उर्मिल किरण
करें आकांक्षी वरण
कोई हो न संकीर्ण
होवें पूर्ण प्रवीण
आलोकित हो ......
खुशियों की उमंग
रहे बजता मृदंग
बूढ़े बच्चे सब संग
झूमें खेलें नव रंग...
न…
ContinueAdded by anand murthy on January 4, 2015 at 12:30pm — 8 Comments
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