शब्दों का है खेल निराला
आओ हम खिलवाड़ करें
गढ़ आदर्श वाक्य रचनाएँ
क्यों उन पर हम अमल करें ?
दूजों को सीखें देकर, है
उन्हे मार्ग दिखलाएँ हम
निज कर्मों पर ध्यान कौन दे ?
अपना मान बढ़ाएँ हम
अपने घर का कूड़ा करकट
अन्यों के घर में डालें
बन नायक अभियान स्वच्छता
अपना अभिमत ही पालें
सरिया ,गारा , मिट्टी , गिट्टी
ढेर लगाएँ राहों पर
चलें फावड़े , टूट-फूट का दोष
धर रहे निगमों…
ContinueAdded by Usha Awasthi on January 28, 2020 at 6:14pm — 2 Comments
चलो, विश्वास भरें
गया पुरातन वर्ष
नवीन विचार करें
आपस के सब मनमुटाव कर दूर
चलो, विश्वास भरें
बैर भाव से हुए प्रदूषित
जो मन, बुद्धि , धारणाएँ
ज्ञानाग्नि से , सर्व कलुष कर दग्ध
सभी संत्रास हरें
आपस के सब मनमुटाव कर दूर
चलो, विश्वास भरें
है अनेकता में सुन्दर एकत्व
उसे अनुभूति करें
कर संशय, भ्रम दूर
नेह, सतभाव वरें
आपस के सब मनमुटाव कर दूर
चलो,…
ContinueAdded by Usha Awasthi on January 1, 2020 at 9:12pm — 5 Comments
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