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Mukesh Kumar Saxena's Blog – January 2012 Archive (2)

आँसू

आँसू



तमन्ना है तुम्हारी आँख का आँसू मैं बन जाऊ .

तेरे दामन को भिगो दूं उसी में ज़ज़्ब हो जाऊ.



जन्म लूँ आँख में तेरी बहू मैं गाल पे तेरे.

तेरे होठो को छू लूँ मैं होंठ छूते ही मर जाऊ

तमन्ना है तुम्हारी आँख का आँसू मैं बन जाऊ .



अगर मैं आँख में निकलू…
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Added by Mukesh Kumar Saxena on January 28, 2012 at 7:30pm — 3 Comments

शीर्षक आप बताएं

छरहरा सा वदन उसका श्वेत वस्त्र धारण किये ।

था पीत किरीट भाल की शोभा तन वहुत नाजुक लिए।

खोल के जो कपाट घर के देखा उसको गौर  से ।

शर्म से नज़रें झुका लीं प्रिय सी चंचलता लिए ।

थाम के उसको लगाया होंठ से अपने जभी ।

इश्क की गर्मी से  मेरी खुद ही खुद वह जल उठी ।

खेंच कर सांसों को उसकी जब मै उसको पी गया ।

आग सीने में लगी जल कर कलेजा रह गया ।

धुंए का गुब्बार निकला और फिजा…

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Added by Mukesh Kumar Saxena on January 23, 2012 at 11:34am — 2 Comments

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