चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक १० में आदरणीय सौरभ बड़े भईया द्वारा अनुष्टुप छंद के विषय मे दी गयी बहुमूल्य जानकारी के आधार पर यह व्यंग्य प्रयोग प्रस्तुत है...
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समय है चुनावों का, गाल सब बजा रहे |
राम युग बसाएंगे,…
ContinueAdded by Sanjay Mishra 'Habib' on January 22, 2012 at 11:30am — 8 Comments
सभी सम्माननीय मित्रों को सादर नमस्कार. आदरणीय योगराज भईया द्वारा ओ बी ओ में प्रस्तुत विलुप्त प्राय छंद "छन्न पकैया" सचमुच मन को भाता है... तभी से -
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छन्न पकैया, छन्न पकैया, देख देख ललचाऊं,
छंद सुहावन मनभावन ये, मैं भी कुछ रच पाऊं ||
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Added by Sanjay Mishra 'Habib' on January 3, 2012 at 6:30pm — 6 Comments
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