भले देख लो जग सारा, सबसे प्यारा देश हमारा.
कण कण में इसके अपनापन, अपना भारत सबसे न्यारा.
गंगा यमुना सरस्वती जैसे मिल कर संगम हो जाती.
अनेकताएं विविध यहाँ, एक हो हम दम जो जाती.
प्राचीनतम संस्कृति हमारी, सबको समावेशित कर देती.
अपनी पहचान बनाए रख मा, सबको अपना कर लेती.
सदियों आक्रान्ताओं से जूझे हम, नहीं कभी मिटी हस्ती.
है अमरत्व सनातन का, बनी रही अपनी मस्ती.
कालचक्र परिवर्तन में, राजतन्त्र मिट हुआ लोकतंत्र.
अपने शाश्वत…
ContinueAdded by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा on January 26, 2024 at 1:00pm — 1 Comment
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