गले में झूलते बाँहों के नर्म हार की बात।
ये बात है मेरे मौला हसीं हिसार की बात।
रखोगे आग पे माखन तो वो पिघल ही जायेगा।
भला टली है कभी , है ये होनहार की बात।
ये इंकलाब की बातें है जोश वालों की।
कहीं पढ़ी थी जो मैंने वो बुर्दबार की बात।
कहूँ किसी से भला क्यों , छुपा के रखे हैं।
उन्हीं की आँखों के किस्से उन्ही के प्यार की बात।
बड़ी कठिन है ये शेरो-सुखन नवाजी जनाब।
बेइख़्तियार से हालात , क़ि बारदार की बात।
ख़याल ही जब हिन्दोस्ताँ का हो न तो…
ContinueAdded by Ganga Dhar Sharma 'Hindustan' on February 26, 2017 at 12:39am — 3 Comments
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