आदर्शों पर चल कर तो देखो,
सर उठा कर जी कर तो देखो.
अत्याचार, ज़ुल्म, और भ्रष्टाचार के आगे
आवाज़ बुलंद करके तो देखो.
मन की राह कठिन है
चुनौतियाँ जटिल है,
पर एक बार आवाज़
बुलंद करके तो देखो
आत्मसम्मान से भर उठोगे
गर्व से सर उठा सकोगे (और)
एक बार जो चख लिया
आत्मसम्मान का स्वाद
तो हर चुनौती पार करने को
बलवला उठोगे
बस ज़रूरत है साहस की
ज़रूरत है हिम्मत की.
आदर्शों पर चल कर तो देखो, …
Added by Monika Jain on February 29, 2012 at 12:00am — 6 Comments
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