For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"समय और भाग्य"

सब कुछ भले न सही, पर 

कुछ कुछ सबको मिला है ,

और यही कुछ कुछ एहसास कराता है की 

समय से पहले और भाग्य से ज्यादा 

भला कभी किसी को कुछ मिला है!

तुम भले ही रोज़ नया ख्वाब देखो 

खुद की तकदीर बदलने की तदबीर सोचो 

दर-दर भटको और माथा टेको, पर क्या होगा? 

क्या कभी तकदीर बनाने वाला भी मिला है ?

और अगर ऐसा ही आसान होता तकदीर बदलना 

तो कौन रोता ख़्वाबों के टूटने पर ?

 कौन बिलखता घर उजड़ने पर ?

क्यों कोई भटकता दर- दर  ?

क्यों कोई झुकता उसके दर पर ?

कौन पढता दुःख की परिभाषा ?

कौन बसने देता अश्क आँखों में ?

ये मुक़द्दर की बात है "डोली"

किसी के ख़्वाबों की झालर बंधनवार बनी 

किसी के ख़्वाबों की झालर बाबुल की डाल बनी 

समय और भाग्य के इस खेल में 

कोई सब कुछ पा गया तो कोई 

टूटे ख़्वाबों के कुछ और टुकड़े पा गया.

सब कुछ न सही कोई बात नहीं 

कुछ कुछ ही सही पर आँख के लिए 

वो नई धार तो पा गया.   

सब कुछ भले न सही, पर कुछ-कुछ वो भी पा गया.

सब कुछ भले न सही, पर कुछ कुछ सबको मिला है. 

मोनिका जैन "डोली"  

 

 

 

Views: 502

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 15, 2012 at 12:56pm

रचना की पंक्तियों से निस्सृत दृढ़ता भावनाओं के कालपगे होने का पर्याय है.  मोनिकाजी, बहुत-बहुत बधाई.

 

बाबुल   शब्द बबूल नहीं है क्या ?

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 15, 2012 at 11:15am

सुन्दर भाव एवं प्रस्तुति. बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 14, 2012 at 2:21pm

bhaav manthan me kase hue shabd ...shandar prastuti.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 14, 2012 at 2:18pm

ये मुक़द्दर की बात है "डोली"
किसी के ख़्वाबों की झालर बंधनवार बनी
किसी के ख़्वाबों की झालर बाबुल की डाल बनी

आदरणीया मोनिका जी , भावनाओं को आपने बड़े ही करीने से संप्रेषित किया है, अतुकांत शैली में प्रस्तुत रचना खुबसूरत बन पड़ी है , बधाई स्वीकार करे ।

Comment by Abhinav Arun on March 14, 2012 at 1:47pm

काफी कुछ कहती है ये रचना आदरणीय मोनिका जी | ऐसी ही रचनाएँ वक़्त के झंझावातों में आदमी को संबल देती है ! आज की मांग के अनुरूप साहित्य सृजन हेतु हार्दिक बधाई !!

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 14, 2012 at 12:18pm

पाना-खोना तो जीवन का अहम नियम है| सुन्दर भावों की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें|

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 14, 2012 at 7:03am
भाव बहुत शानदार है,चिंतन भी अच्छा है।बधाई हो मोनिका जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
6 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service