Added by Monika Jain on August 27, 2018 at 9:30pm — 2 Comments
"वो सफर लगातार चलता ही रहा.....
वो रस्ते बस आगे, और आगे ही बढ़ते रहे।
मैं कभी ज़मीन पर तो कभी आसमान पर,
दिन भर बुने अपने ख़ाबों की लड़ी सजती रही।
अपने ही वजूद को कभी बच्चों में, कभी घर की दीवारों में,
तो कभी उनकी आँखों में तलाशती रही.......
जानती हूँ सब हैं मेरे, पर.... फिर भी,
मैं अपने ख़ाबों के साथ अकेली सफर तय करती रही।
और ये आस ये उम्मीद बांधती रही कि,
मेरे अस्तित्व से निरंतर झरती जीवन धारा को
ये समाज आज नहीं तो कल सहृदय अपनायेगा।…
Added by Monika Jain on March 17, 2016 at 6:30pm — 3 Comments
Added by Monika Jain on June 9, 2012 at 6:16pm — 2 Comments
सौन्दर्य और स्वस्थ्य दोनो एक ही सिक्के के दो पहलू हैं लेकिन इसके बावजूद भी हम में से ज़्यादातर महिलाऐं सिक्के के एक ही पहलू यानि सिर्फ खूबसूरती पर ही ध्यान देती हैं । और स्वस्थ्य को जाने - अनजाने दरकिनार करती चली जाती हैं । बहुत सी महिलाओं की नज़र में खूबसूरती के मायने हैं आकर्षक मेकअप, खूबसूरत कपड़े, और मैचिंग जूलरी । लेकिन क्या सचमुच खूबसूरती के यही मायने हैं ? हम ये तो नहीं कहते कि आकर्षक कपड़े, ज़ेवर, और मेकअप खूबसूरती का हिस्सा नहीं हैं लेकिन यह…
Added by Monika Jain on May 19, 2012 at 11:30pm — 8 Comments
Added by Monika Jain on May 9, 2012 at 12:30am — 12 Comments
तुम क्या समझो तुम क्या जानो
है पीर कहा ? है दर्द कहाँ ?
क्यों है मन आकुल व्याकुल सा
क्यों है तन थका थका सा ये
क्यों हार - हार कर भी लेती हूँ
जीने की प्रबल प्रतिग्या मैं
क्यों बुझे हूऐ दीपों में मैं
आशा की जोत जलाती हूँ
क्यों हूँ रूठी हूँ दुनिया से मैं
क्यों फिर भी सबसे हिली मिली
हैं प्रश्न बहुत पर फिर भी
मैं क्यों खडी - खडी मुस्काती हूँ ?
क्या है ? क्यों है ? कैसा है ?
प्रश्नों की ठेलम ठेली है !
हो चकित देख कर…
Added by Monika Jain on May 6, 2012 at 7:00pm — 11 Comments
प्यार का ख्याल.....
प्यार का ख्याल गर खाब मैं ही हो आये,
तो ज़िन्दगी खूब से खूबतर हो जाये.
हर आँख से…
ContinueAdded by Monika Jain on April 12, 2012 at 4:31pm — 5 Comments
"समय और भाग्य"
सब कुछ भले न सही, पर
कुछ कुछ सबको मिला है ,
और यही कुछ कुछ एहसास कराता है की …
ContinueAdded by Monika Jain on March 13, 2012 at 9:20pm — 7 Comments
"कशमकश"
क्यों वक़्त से पहले ये वक़्त भागता सा लगे है मुझे.
फिर भी क्यों ये ज़िन्दगी थमी सी लगे है मुझे ?
एक अजीब सी कशमकश है! क्या? मालूम नहीं.
पर कभी सब पास तो कभी सब दूर सा लगे है मुझे.…
ContinueAdded by Monika Jain on March 12, 2012 at 2:18am — 4 Comments
दिल की धडकनों को महसूस करके देखो.
कुछ देर मेरे साथ चल के देखो.
तुम्हारे सारे ग़म में अपने सीने में छुपा लुंगी.…
ContinueAdded by Monika Jain on March 11, 2012 at 12:30am — 6 Comments
मुझे दुनिया नहीं, मुझे तुम्हारा साथ चाहिए.
जीवन पथ पर तुम्हारा स्नेह चाहिए .
प्रेम की पराकाष्ठ में ही नहीं,
कंटीले पथ पर भी तुम्हारी बाँहें…
ContinueAdded by Monika Jain on March 10, 2012 at 1:00am — 2 Comments
है प्रियवर, तुम कब आओगे भेजो तुम सन्देश
थक गई मोरी अँखियाँ अब तो भेजो तुम सन्देश
भेजो तुम सन्देश प्रिये तो झपकूँ अपने नैन
राह तकूँ मै हर आहट पे देखूँ द्वारे …
ContinueAdded by Monika Jain on March 1, 2012 at 11:30pm — 7 Comments
आदर्शों पर चल कर तो देखो,
सर उठा कर जी कर तो देखो.
अत्याचार, ज़ुल्म, और भ्रष्टाचार के आगे
आवाज़ बुलंद करके तो देखो.
मन की राह कठिन है
चुनौतियाँ जटिल है,
पर एक बार आवाज़
बुलंद करके तो देखो
आत्मसम्मान से भर उठोगे
गर्व से सर उठा सकोगे (और)
एक बार जो चख लिया
आत्मसम्मान का स्वाद
तो हर चुनौती पार करने को
बलवला उठोगे
बस ज़रूरत है साहस की
ज़रूरत है हिम्मत की.
आदर्शों पर चल कर तो देखो, …
Added by Monika Jain on February 29, 2012 at 12:00am — 6 Comments
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