For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिल की धडकनों को महसूस करके देखो.

कुछ देर मेरे साथ चल के देखो.

तुम्हारे सारे ग़म में अपने सीने में छुपा लुंगी.

बस एक बार मुझे पे  भरोसा करके देखो.

अपने हाथों को मेरे हाथों में देके देखो,

अपनी आँखों से मेरी आँखों में आके देखो,

झील सा मीठा पानी, भले न पाओगे

पर खरे अश्कों को मीठा होता देखोगे.

बस एक बार मुझ पर भरोसा करके देखो,

कुछ देर मेरे साथ चल के देखो. 

                                                           मोनिका जैन "डोली" 

 

Views: 409

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 11, 2012 at 11:00pm

मोनिका जी क्या बारीकी है ,,,,,,,बधाई

 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 11, 2012 at 8:59pm

बहुत सुंदर भाव पूर्ण आश्वासन. बधाई हो 

Comment by Abhinav Arun on March 11, 2012 at 3:44pm

बहुत ही भाव पूर्ण कविता आदरणीया मोनिका जी !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 11, 2012 at 3:07pm

bahut khoob monika ji 

कुछ देर मेरे साथ चल के देखो. 

                             jabardast prastuti

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 11, 2012 at 1:05pm

अपनी आँखों से मेरी आँखों में आके देखो,

झील सा मीठा पानी, भले न पाओगे,

पर खारे अश्कों को मीठा होता देखोगे,

आदरणीया मोनिका जी, बहुत ही सुन्दर भाव संप्रेषित किये आपने| बहुत ख़ूब|

Comment by Harish Bhatt on March 11, 2012 at 12:33pm

Monika ji namastey..........

Wah kya baat hai. bahut accha.

दिल की धडकनों को महसूस करके देखो.

कुछ देर मेरे साथ चल के देखो.

तुम्हारे सारे ग़म में अपने सीने में छुपा लुंगी.

बस एक बार मुझे पे  भरोसा करके देखो

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ravi Shukla commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों को केंद्र में रख कर कही गई  इस उम्दा गजल के लिए बहुत-बहुत…"
11 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी, अच्छी  ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें. अपनी टिप्पणी से…"
12 hours ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाई जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छी प्रयास है । आप को पुनः सृजन रत देखकर खुशी हो रही…"
12 hours ago
Ravi Shukla commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय बृजेश जी प्रेम में आँसू और जदाई के परिणाम पर सुंदर ताना बाना बुना है आपने ।  कहीं नजर…"
12 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
Thursday
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service