मेरे मन ,
बसंत के गाँव चल तो सही
सब कुछ है वहीं
उमंग उल्लास का गाँव है, रे
प्रीत की डोर थामे ,चल तो सही | सब कुछ…
Added by mohinichordia on February 18, 2012 at 11:16am — 3 Comments
सुस्त वृक्ष का जीवन बोला
क्या होगा अब मेरा ?
खिर गए सब पान पल्लव
सूख गया रस मेरा |
खडा रहा वह ठूँठ सा
कुछ मुरझाया कुछ सुस्ताया
समय गुजरा, पास की मिटटी में उग आयी
एक बेल ने,…
ContinueAdded by mohinichordia on February 16, 2012 at 4:00pm — 2 Comments
जब उठाया घूंघट तुमने,
दिखाया मुखड़ा अपना
चाँद भी भरमाया
जब बिखरी तुम्हारे रूप की छटा
चाँदनी भी शरमायी
तुम्हारी चितवन पर
आवारा बादल ने सीटी बजाई ।
तुमने ली अगंड़ाई, अम्बर की बन आई
तुमसे मिलन की चाह में फैला दी बाहें,
क्षितिज तक उसने
भर लिया अंक में तुम्हें, प्रकृति, उसने
तुम्हारे…
Added by mohinichordia on February 7, 2012 at 6:30am — 10 Comments
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