आज
तुम्हारा प्यार
बना रहा साथ मेरे
साये की तरह
चलता रहा साथ
जहां-जहां मैं गई ।
देता रहा दिलासा
अकेले उदास मन को
जैसे तुम देते थे
मेरे कंधे पर प्यार से थपकी
उसी तरह का दुलार
आज फिर महसूस किया मैंने
जब सांझ की उतरती
गहरी उदासी ने
घेर लिया मन को मेरे ।
तुम ही नहीं
तुम्हारा प्यार भी जानता था
कि सांझ,
मुझे उदास कर देती है ?
शायद इसीलिए,
साये की तरह
चलता रहा साथ
जहां-जहां मैं गई |
मोहिनी चोरडिया, चेन्नई
Comment
मन डूबता-उतराता रहा, आदरणीया मोहिनीजी. आपकी हृदयस्पर्शी भावनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद. कोमल भावोद्गारों को गहराई से शब्द मिले हैं.
हृदय से बधाई
मर्मस्पर्शी भावनाएं अभिव्यक हुई हैं सीधे दिल तक पहुँच रही है
इस प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई आ० मोहिनी जी
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति आदरणीया भावपूर्ण प्रस्तुति बधाई स्वीकारें.
कोमल भावों की सुन्दर अभिवयक्ति। बधाई।
सादर,
विजय निकोर
सुन्दर एहसासों से सज़ी .....सुन्दर रचना ....बधाई आपको .....
आदरणीया मोहिनी बहन, बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति के लिये हार्दिक बधाइयाँ
वाह वाह , आदरणीया मोहिनी जी , बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥
तुम्हारा प्यार भी जानता था
कि सांझ,
मुझे उदास कर देती है ?
शायद इसीलिए,
साये की तरह
चलता रहा साथ
जहां-जहां मैं गई |....wah bahut khoob...aik meethee see kashish kee sundr rachna...haardik badhaaee
सुंदर अभिव्यक्त....सादर
बहुत सुन्दर , भावपूर्ण रचना | सादर
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