उम्मीद तो
मुझे अपने आप से भी थी
उम्मीद तो
मुझे अपनों से भी थी ...
सोचता तो
अपने के लिए भी था
सोचता तो
दूसरों के लिए भी था
सुधार की गुंजाईश
अपने आप से भी थी
सुधार की गुंजाईश
दूसरों से भी थी
इन्हीं ...
उहापाहो में
सफर काटता रहा ...
जब उम्मीद
अपनी पूरी नहीं हुयी
सोच अपनी न रही
सुधार खुद को न पाया
तो शिकायत
अब किससे
और…
ContinueAdded by Amod Kumar Srivastava on February 25, 2015 at 8:58pm — 11 Comments
जीवन कठिनाईयों मे
गुजर रहा है ऐ मौला
रात गुजर रही है
बगैर नींद के ऐ मौला
बेपरवाह एक जुगनू
खलल डाल रहा ऐ मौला
सफर मे चला जा रहा हूँ
मंजिल की तलाश मे ऐ मौला
कहता बहुत हूँ, चीखता बहुत हूँ
सुनता कोई नहीं ऐ मौला
काली रात कटेगी, सुबह तो होगी
इंतजार मे हूँ ऐ मौला
जख्म इतना दिया कि
इंतहा कि हद कर दी
जख्म के दर्द का अहसास न रहा ऐ मौला
खारा हो गया हूँ जैसे समंदर का पानी
अब…
ContinueAdded by Amod Kumar Srivastava on February 24, 2015 at 8:07pm — 14 Comments
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