हिन्दी की रीतिमुक्त धारा के शीर्षस्थ कवि थे i उनकी प्रेमिका थी सुजान. जो दिल्ली के बादशाह मुहम्मदशाह 'रंगीले' के दरबार में तवायफ थी i इनके मार्मिक प्रेम की अनूठी दास्तान पर आधारित है-उपन्यास 'बिसासी सुजान ' i पेश है उसका एक अंश ----घनानन्द
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जून का महीना I शुक्ल पक्ष की नवमी I दिन का अंतिम प्रहर I सूर्यास्त का समय I यमुना नदी का काली घाट I घाट पर सन्नाटा I चंद्रमा की किरणें यमुना की लहरों से खेलती हुयी I हल्की आनंददायक हवा I आनंद…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 10, 2020 at 11:43am — 1 Comment
संस्कृति देश की है प्राचीनतम,
यह कथा गल्प अथवा कहानी नहीं
है ये अविराम थोड़ा लचीली भी है
पर पयस है महज स्वच्छ पानी नहीं
यह पली है सहनशीलता धैर्य में
ऐसी उद्दाम कोइ रवानी नहीं
हैं उदात्त हम तो ग्रहणशील भी
और अध्यात्म की कोई सानी नही
दूर भौतिक चमक से रहे हम सदा
ऐसी धरती कहीं और धानी नही
दे गए पूर्वज जो हमें सौंपकर
वैसी अन्यत्र जग में निशानी नहीं
वन्दे मातरम् I {मौलिक व…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 9, 2020 at 8:30am — 2 Comments
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