For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बरवै छंद के जन्मदाता - एक जानकारी

 हिन्दी साहित्य में ‘बरवै’ एक विख्यात छंद है . इस छंद के प्रणेता सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक महाकवि अब्दुर्रहीम खानखाना 'रहीम' माने जाते हैं . कहा जाता है कि रहीम का कोई दास अवकाश लेकर विवाह करने गया.  वह  जब वापस आया  तो  उसकी विरहाकुल नवोढा ने उसके मन में अपनी स्मृति बनाये रखने के लिए दो पंक्तियाँ लिखकर उसे दीं-

नेह-छेह  का  बिरवा  चल्यो  लगाय  I      

सींचन की सुधि लीजो मुरझि न जायII  
रहीम के साहित्य-प्रेम से तो सभी परिचित थे . अतः उस दास ने  ये पंक्तियाँ रहीम को दिखाईं . रहीम ऐसी सुन्दर भावपूर्णउक्ति से तो अभिभूत हुए ही, उन्हें इन पंक्तियों का शिल्प भी  अद्भुत लगा . उन्होंने सुनते ही  प्रचलित छंदों से इसका मिलान किया . कितु इसकी मात्राएँ और यति--गति  सर्वथा भिन्न थी . उन्होंने स्वयं इस संयोजन पर लिखने का प्रयास किया . जब उन्हे यह छंद सिद्ध हो गया तब उहोने इसका नामकरण  मूल छंद के बिरवा शब्द से किया और छंद का नाम ‘बरवै’ रखा . रहीम ने कालांतर में इसी छंद पर आधारित ‘बरवै नायिका-भेद’  की रचना की,  जो हिंदी- साहित्य में बहुत समादृत हुआ . गोस्वामी तुलसीदास भी इस छंद से प्रभावित हुए थे और उन्होंने ‘बरवै रामायण’ की रचना की थी. परवर्ती कवियों ने प्रायशः इस छंद में कम रचनायें की .

(मौलिक व् अप्रकाशित )

Views: 2955

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on December 28, 2017 at 3:07pm

उम्दा जानकारी साझा की है आपने आ. गोपाल नारायण जी. बहुत-बहुत धन्यवाद. सादर.

Comment by Ajay Tiwari on December 28, 2017 at 1:57pm

आदरणीय गोपाल नारायण जी, 

बहुत दिलचस्प जानकारी साझा की आपने. वस्तुतः अन्य चीजों की ही तरह छंदों का भी मूल स्रोत लोक ही है. हार्दिक धन्यवाद.

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 27, 2017 at 9:43pm

एक महत्वपूर्ण जानकारी दी है आपने आदरणीय गोपाल सर | बहुत बहुत धन्यवाद आपका |

Comment by Samar kabeer on December 27, 2017 at 9:17pm

जनाब डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,बढ़िया जानकारी,धन्यवाद आपका ।

Comment by नाथ सोनांचली on December 27, 2017 at 2:22pm

अच्छी जानकारी उपलब्ध कराई आपने, आद0 गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी। बहुत बहुत धन्यवाद आपका।

Comment by Mohammed Arif on December 27, 2017 at 8:28am

आदरणीय गोपाल नारायण जी आदाब,

                    बरवै छंद के बारे में आपने महत्वपूर्ण जानकारी दी । जानकर अच्छा लगा । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
6 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service