For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गत-आगत साल ‘बरवै’ छंद मे [अवधी की अरघान(महक)]

पार हुयी नहिं आसों, बीता साल          

बिटिया अबहूँ क्वांरी. माँ बेहाल  

      

विदा भई जनु बिटिया बीता साल

जैसे–तैसे कटिगा   जिव जंजाल

 

बेसह न पायो कम्बर बीता साल

जाड़ु सेराई कैसे   नटवरलाल ?

 

मिली न रोजी-रोटी, बेटवा पस्त

गए साल का अंतिम सूरज अस्त

 

बारह माह तपस्या, जमे न पाँव

आखिर में मुँह मोड़ा हारा दाँव

 

शीतल, सुरभित, नूतन आया साल

बधू चांद सी आयी जनु ससुराल

 

महलन माँ उजयरिया अभिनव वर्ष

ठिठुरा गाँव मनावै   कैसे हर्ष?

 

रहि-रहि सिसकै लकड़ी कांपैं आग

नए साल से के धौं   होवै राग

बनति-बनति बनि जाई बिगरे हाल

बहिन अबै है बाकी     पूरा साल                              

 

(मौलिक /अप्रकाशित)

Views: 506

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ajay Tiwari on January 1, 2018 at 10:18am

आदरणीय गोपाल नारायण जी,

इन छंदों के लिए विशेषण के तौर पर सिर्फ 'अतीव सुन्दर' ही सूझ रहा है. हार्दिक बधाई.

नव वर्ष मंगलमय हो! 

सादर  

Comment by Mohammed Arif on December 31, 2017 at 7:35am

आदरणीय गोपाल नारायण जी आदाब,

                                 सुंदर अहसासों सुसज्जित बेहतरीन रचना । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sushil Sarna on December 30, 2017 at 9:33pm

आदरणीय डॉ गोपाल जी सादर प्रणाम। ... आपकी ये प्रस्तुति इतनी सुंदर, मीठे अहसासों की गंध लिए है कि मैं निशब्द हूँ कुछ कहने के लिए। इस दिल को छूती अंतस को स्पर्श करती प्रतिम प्रस्तुति के लिए हार्दिक हार्दिक बधाई स्वीकार करें। साथ ही नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनयें भी स्वीकार करें। आपको नूतन वर्ष अभिनंदन स्वीकार हो। सादर ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service