नया साल है आवा अस संजोग
ओ बी ओ मदिरायित हर्षित लोग
हवा भई है ‘बागी’ मन मुस्काय
‘योगराज’ शिव बैठे भस्म रमाय
‘प्राची’ ने दिखलाया आज कमाल
नए साल का सूरज निकसा लाल
ठहरा सा है मारुत ‘सौरभ’-भार
नवा ओज भरि लाये ‘अरुण कुमार’
‘राणा’–राव महीपति अरु ‘राजेश’
बदले बदले दिखते हैं ‘मिथिलेश’
तना खड़ा है अकडा अब ‘गिरिराज’
हर्ष न देह समाये इसके आज
कुहरे में है सूरज अरुणिम बिंदु
नभ में सिहरे-सिहरे से ‘शरदिंदु’
‘शिज्जु‘ हमारे हँसमुख अति लहरांय
रहि-रहि बांछे उनकी खिलि –खिलि जांय
यह परिवारु हमारा खासम-ख़ास
नए साल से सबका है बड़ि आस
छोट बड़ा तो भैया हियाँ न कोय
नया साल यहु सबका मंगल होय
(मौलिक / अप्रकाशित )
Comment
बहुत खूब
बहुत सुन्दर प्रस्तुति आ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी , आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
आद0 गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी सादर अभिवादन। आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय डॉ गोपाल नारायन जी, नया वर्ष मंगलमय हो। ...
सुंदर बरवै छंद आदरणीय।।हार्दिक बधाई
नव वर्ष मंगलमय हो। बहुत बढ़िया सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी। समस्त ओबीओ परिवार को नववर्ष की हार्दिक बधाइयां और शुभकामनाएं।
आदरणीय गोपाल नारायण जी आदाब,
नववर्ष की मुबारकबाद के साथ ही बरवै छंद रचना की हार्दिक बधाई स्वीकार करेंं ।
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