कुछ चुटकियाँ ....
वो चाय क्या
जिसमें भाप न हो
वो नींद क्या
जिसमें ख्वाब न हो
.............
वो प्याला क्या
जिसमें शराब न हो
वो हिजाब क्या
जिसमें शबाब न हो
.......... ..........
वो किताब क्या
जिसमें गुलाब न हो
वो ख़्वाब क्या
जिसमें माहताब न हो
.....................
वो समर्पण क्या
जिसमें स्वीकार न हो
वो जीत क्या
जिसमें हार न हो
.........................
वो…
ContinueAdded by Sushil Sarna on February 28, 2022 at 1:43pm — No Comments
शोख़ दोहे :
कातिल हसीन शोखियाँ, मयखाने सा नूर ।
दिल बहके तो जानिए, सब आपका कुसूर ।।
साँसें दे हर साँस को, साँसों का उपहार ।
साँसों को अच्छा लगे, ये साँसों का प्यार ।।
पागल दिल की हसरतें, पागल दिल के ख़्वाब ।
पागल दिल को कर गए , ख़्वाबों के सैलाब ।।
बड़े तीव्र हैं प्यास के, अधरों पर अंगार ।
नैनों से नैना करें, मधुर मिलन मनुहार ।।
बेहिज़ाब अगड़ाइयाँ, गज़ब नशीला नूर ।
देख बहकना नूर को, दिल का है…
Added by Sushil Sarna on February 26, 2022 at 3:53pm — 2 Comments
प्रेम दिवस :
दिलवालों का आ गया, दिलवाला त्योहार ।
दिल ले कर दिल ढूँढता, दिल अपना दिलदार ।।
लाल दिलों का लग रहा, गली-गली बाजार ।
अब तो दिल का आजकल, होता है व्यापार ।।
प्रेम प्रदर्शन का बना, मुक्त मिलन आधार ।
कैसा यह त्योहार जो, लील रहा संस्कार ।।
कितनी उत्सुक लग रही, युवा सभ्यता आज ।
अवगुंठन में प्यार के, करें कलंकित लाज ।।
वेलेंटाइन की आढ़ में, लज्जित होती लाज ।
देख प्रेम की दुर्दशा, क्षुब्ध आज है…
Added by Sushil Sarna on February 14, 2022 at 2:42pm — 4 Comments
तेरे मेरे दोहे :
दंतहीन मुख पोपला, हुए दृष्टि से सूर ।
शक्तिहीन काया हुई, चलने से मजबूर ।।
दंतहीन मुख पोपला, दृष्टि से लाचार ।
देख -देख मिष्ठान को, मुख से टपके लार ।।
लघु शंका बस में नहीं, मुख से टपके लार ।
बदला सा लगने लगा , अपनों का व्यवहार ।।
काया का सूरज ढला, ढली श्वास की शाम ।
दूर क्षितिज पर साँझ की, लाली करे प्रणाम ।।
काया साँसों से चले ,चले कर्म से नाम ।
चंचल मन के अश्व की, वश में रखो…
Added by Sushil Sarna on February 3, 2022 at 3:00pm — 10 Comments
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