जिस रास्ते जाना नहीं
हर राही से उस रास्ते के बारे में पूछता जाता हूँ।
मैं अपनी अहमियत ऐसे ही बढ़ाता हूँ।
जिस घर का स्थापत्य पसंद नहीं
उस घर के दरवाज़े की घंटी बजाता हूँ।
मैं अपनी अहमियत ऐसे ही बढ़ाता हूँ।
कभी जो मैं करता हूं वह बेहतरीन है
वही कोई और करे - मूर्ख है - कह देता हूँ।
मैं अपनी अहमियत ऐसे ही बढ़ाता हूँ।
मुझे गर्व है अपने पर और अपने ही साथियों पर
कोई और हो उसे तो नीचा ही दिखाता…
ContinueAdded by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on February 25, 2020 at 12:40pm — 2 Comments
कुछ ख्वाबों के बीज लाकर
मैंने दिल के गमले में बोये थे।
पसीने का पानी पिलाकर
पौधे भी उगा दिये।
वो बात और है कि
गमले की मिट्टी मेरे दिल में भर गई।
और दिल भर देख भी नहीं…
ContinueAdded by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on February 13, 2020 at 1:38pm — 6 Comments
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