For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अंधी आस्था का फायदा (लघुकथा)

"सर, हमारे अमरूदों के बाग़ में कुछ लोग रोज़ शाम को शराब पीते हैं साथ में जुआ भी..."
"एफ.आई.आर. करवा दो|"
"कोई फायदा नहीं सर, उसमें कुछ पुलिस वाले भी हैं..."
"तो फिर ये मूर्ती ले जाओ, शराब की बदबू अगरबत्ती और फूलों की खुश्बू में बदल जायेगी|"

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 491

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 8, 2015 at 2:03am

आदरणीय चन्द्रेश कुमारजी . दिल् से बधाई लीजिये इस लघुकथा केलिए ..

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 2, 2015 at 7:04pm

बहुत सुन्दर! पर मूर्ति के सामने भी गांजा भांग तो लोग पीते ही हैं, बम बम भोले कहकर!

Comment by maharshi tripathi on July 2, 2015 at 5:00pm

 बहुत बढ़िया ,आ.,, Chandresh Kumar जी ,,अगर बुराई को हटाने के लिए एक मूर्ति काफी है ,तो मेरे हिसाब से ये धन्धा नही है |

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 2, 2015 at 2:29pm

क्या बात है चंद्रेश जी!ये धंदा सदा से चलता आ रहा है खासकर अवैध कब्जे के लिए!  हार्दिक बधाई!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 2, 2015 at 2:21pm

इस उम्दा हल का जवाब नहीं ..बहुत बढ़िया ..इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 1, 2015 at 2:41pm

बहुत ही बढ़िया लघुकथा 

क्या गज़ब का हल निकाला है 

अपने शीर्षक को सार्थक करती बहुत अच्छी लघुकथा हुई है. आपको इस विशिष्ट प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 29, 2015 at 8:15pm

बहुत बढ़िया

क्या खूबसूरत हल ढूंढा है  i इसको कह्ते हैं कि  सांप मरे और लाठी न टूटे

Comment by kanta roy on June 28, 2015 at 11:18pm
वाह !! बहुत ही सुंदर लघुकथा बनी है ...धर्म के नाम पर तो कुछ भी करवा लिया जा सकता है । बधाई आपको आदरणीय चंद्रेश जी
Comment by विनय कुमार on June 28, 2015 at 11:03pm

बड़ा व्यवहारिक हल निकाला समस्या का , सुन्दर लघुकथा , बधाई इस रचना के लिए आदरणीय.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service