221 2121 1221 212
सुनता खुदा न यार सदाएँ तो क्या करें
करती असर न आज दुआएँ तो क्या करें ।१।
इक दिन की बात हो तो इसे भूल जाएँ हम
हरदिन का खौफ अब न बताएँ तो क्या करें।२।
इक वक्त था कि लोग बुलाते थे शान से
देता न कोई आज सदाएँ तो क्या करें।३।
शाखों लचकना सीख लो पूछे बगैर तुम
तूफान बन के टूटें हवाएँ तो क्या करें।४।…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 26, 2018 at 6:30pm — 6 Comments
दबे पाप ऊपर जो आने लगे हैं
सियासत में सब तिलमिलाने लगे हैं।१।
घोटाले वो सबके गिनाने लगे हैं
मगर दोष अपना छिपाने लगे हैं।२।
वतन डूबता है तो अब डूब जाये
सभी खाल अपनी बचाने लगे हैं।३।
रहे कोयले की दलाली में खुद जो
गजब वो भी उँगलीउठाने लगे हैं।४।
दिया था भरोसा कि लुटने न देंगे
वही बेबसी अब …
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 19, 2018 at 4:00pm — 20 Comments
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
खूब नजरें जो गढ़ाये हैं पराये माल पर
है भरोसा खूब उनको दोस्तो घड़ियाल पर।१।
भूख बेगारी औ' नफरत है पसारे पाँव बस
अब भगत आजाद रोते हैं वतन के हाल पर ।२।
आज सम्मोहन कला हर नेता को आने लगी
है फिदा जनता यहाँ की हर सियासी चाल पर।३।
खुद पहन खादी चमकते पूछता हूँ आप से
दाग कितने नित लगाओगे वतन के भाल पर।४।
ऐसा होता तो सुधर जाते सभी हाकिम यहाँ
वक्त जड़ता पर कहाँ है अब तमाचा गाल…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 11, 2018 at 10:25pm — 8 Comments
२२१ १२२२ २२१ १२२२
नफरत के बबूलों को आँगन में उगाओ मत
पाँवों में स्वयं के अब यूँ शूल चुभाओ मत।१।
ऐसा न हो यारों फिर बन जायें विभीषण वो
यूँ दम्भ में इतना भी अपनों काे सताओ मत।२।
फितरत नहीं छिपती है कैसे भी मुखौटे हों
समझो तो मुखौटे अब चेहरों पे लगाओ मत।३।
माना कि तमस देता तकलीफ बहुत लेकिन
घर को ही जला डाले वो दीप जलाओ मत।४।
ढकने को कमी अपनी आजाद बयानों पर
फतवों के मेरे हाकिम पैबंद लगाओ…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 1, 2018 at 6:00am — 15 Comments
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