बज उठे नगाड़े हैं, फाग फगुन गा रहा |
सज गया पलासों से, कानन इठला रहा ||
रस भरे नज़ारे हैं, फूल महकते सभी,
भँवरे अकुलाए हैं, बाग उन्हें बुला रहा ||
गगन में गुलालों का, इंद्रधनुष भी खिला,
कारवां खुशहाली का, मंगलमय छा रहा ||
रंग बिरंग राहें भी, भूल बैर गले मिलीं,
भोर मगन वीणा ले, गीत गुनगुना रहा ||
मन मयूर नाचे है, झूम कर बसंत सा,
हबीब मस्त नैनों से, रंग है बरसा रहा…
ContinueAdded by Sanjay Mishra 'Habib' on March 9, 2012 at 2:24pm — 7 Comments
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