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जितेन्द्र पस्टारिया's Blog – March 2015 Archive (4)

उदारता....(लघुकथा)

“ माँ! तुम्हे भैया के फ्लेट से आये हुए, यहाँ मेरे पास दो महीने हो गये है. उनका फ्लेट काफी बड़ा भी है, कुछ महीने वहाँ रह आओ. आखिर! उन्हें आपकी कमी भी तो महसूस होती होगी “  

अचानक अपने कमरे में से निकलकर छोटे बेटे के इन उदारता भरे शब्दों को सुनकर, माँ को दो माह पहले बड़े बेटे की उदारता याद आ गई. आँखों में नमी लेकर अपने कपड़ो का बेग जमाते हुये उसे मन में दोनों बेटों के फ्लेट,  अपनी कोख से बहुत  ही छोटे लग रहे थे..

 

 जितेन्द्र पस्टारिया

(मौलिक व् अप्रकाशित)      

Added by जितेन्द्र पस्टारिया on March 27, 2015 at 10:52am — 42 Comments

समय....(लघुकथा)

“अरे!! भाई.. दोनों में से एक बैल तो अभी दांत वाला है, ठीक से कीमत बता. फिर बिना दांत वाला वैसे ही लेजा, उसका क्या करूँगा मैं..? आखिर खली-भूसा भी महंगा पड़ता है..”

“पटेल भैया .. दांत वाले की ही कीमत है, बुढ्ढे बैल को मुझ से भी कौन खरीदेगा..? यहीं खूंटे भी ही मरने दो..”

नजदीक ही पटेल भैया के बीमार पिता, चारपाई पर पड़े सारी बातें सुन रहे थे...

 

  जितेन्द्र पस्टारिया

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Added by जितेन्द्र पस्टारिया on March 22, 2015 at 9:21pm — 28 Comments

बजट....(लघुकथा)

“ यह कुकिंग गैस के, यह राशन वाले के, यह बच्चों की स्कूल फी और अभी तो बिजली का बिल आने वाला है. न जाने इस बार....” सुनीता माह का बजट बना ही रही थी कि, तपाक से घर में झाडू-पौंछा कर रही लक्ष्मीबाई पूछ बैठी..

“ बीबी जी.. आप हर माह बिजली के बिल को लेकर क्यूँ परेशान हो जाती हो..?”

“अरे!! बिजली का बिल ही तो झटके मार देता है, पूरे महीने के बजट पर. क्यूँ तुम लोग भी तो खूब टी.व्ही. पंखे चलाते हो, तुम्हे फर्क नहीं पड़ता क्या..?”

“ अरे!! बीबी जी.. टी.व्ही. पंखा ही क्या. हम तो खाना भी…

Continue

Added by जितेन्द्र पस्टारिया on March 12, 2015 at 6:22pm — 36 Comments

भूखा बलिदान....(लघुकथा)

पूरी कॉलोनी वालों की बेफ़िक्र नींद का राज़ था - रानी,  वो पालतू न होते हुए भी कॉलोनी में रात के समय भौंक भौंक कर,  किसी भी अपरिचित को नहीं घुसने देती थी.  बदले में कॉलोनी के लोग भी रानी को खाने के लिये कुछ न कुछ दे देते थे. समय के साथ रानी ने गर्भधारण भी किया, लेकिन उन दिनों में उसकी थकान के बाद भी उसे खाने को कम ही मिलता.  जब उसे प्रसव पीड़ा आरम्भ हुई, तब भी वो अकेली थी. उसने पांच बच्चों को जन्म दिया,  प्रसव के पश्चात्, रानी को बड़ी तेज़ भूख लगी, लेकिन आज उसके पास खाने को  किसी ने कुछ रखा ही…

Continue

Added by जितेन्द्र पस्टारिया on March 2, 2015 at 11:19am — 30 Comments

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