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Featured Blog Posts – April 2022 Archive (4)

कहता हूँ तुझसे जन्मों का नाता है ओबीओ

गजल

221/2121/1221/212

*

लेखन का खूब गुण जो सिखाता है ओबीओ

कारण यही है सब  को  लुभाता  है ओबीओ।।

*

जुड़कर  हुआ  हूँ  धन्य  निखर  लेखनी गयी

परिवार  जैसा   धर्म   निभाता   है  ओबीओ।।

*

कमियों बता के दूर करें कैसे यह सिखा

लेखक सुगढ़ हमें यूँ बनाता है ओबीओ।।

*

अच्छा स्वयं तो लिखना है औरों को भी सिखा

चाहत ये सब के  मन  में  जगाता  है ओबीओ।।

*

वर्धन हमारा  हौसला  करने  को साथ…

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 5, 2022 at 8:20am — 17 Comments

ओबीओ को एक छोटी सी भेंट---ग़ज़ल

212 212 212 212

साल बारह का अब है हुआ ओबीओ 

उम्र तरुणाई की पा गया ओबीओ

शाइरी गीत कविता कहानी ग़ज़ल

के अमिय नीर का है पता ओबीओ

संस्कार औ अदब का यहाँ मोल है

लेखनी के नियम पर टिका ओबीओ 

गर है साहित्य संसार का आइना

तब तो दर्पण ही है दुनिया का ओबीओ

सीखने व सिखाने की है झील तू

ये भी पंकज तुझी में खिला ओबीओ 

मौलिक अप्रकाशित

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 3, 2022 at 11:30am — 16 Comments

ओ बी ओ मंच को 12वीं सालगिरह पर समर्पित ग़ज़ल

ओ बी ओ मंच को 12वीं सालगिरह पर समर्पित ग़ज़ल (1222*4)

किये हैं पूर्ण बारह वर्ष ओ बी ओ बधाई है,

हमारे दिल में चाहत बस तेरी ही रहती छाई है।

मिला इक मंच तुझ जैसा हमें अभिमान है इसका,

हमारी इस जहाँ में ओ बी ओ से ही बड़ाई है।

सभी इक दूसरे से सीखते हैं और सिखाते हैं,

हमारी एकता की ओ बी ओ ही बस इकाई है।

लगा जो मर्ज लिखने का, दिखाते ओ बी ओ को ही,

उसी के पास इसकी क्यों कि इकलौती दवाई है।

तुझे शत शत 'नमन' मेरा बधाई…

Continue

Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on April 3, 2022 at 8:04am — 9 Comments

ओबीओ की बारहवीं सालगिरह का तुहफ़ा

ग़ज़ल

212 212 212

तू है इक आइना ओबीओ

सबने मिल कर कहा ओबीओ

जो भी तुझ से मिला ओबीओ

तेरा आशिक़ हुआ ओबीओ

तुझसे बहतर अदब का नहीं

कोई भी रहनुमा ओबीओ

जन्म दिन हो मुबारक तुझे

मेरे प्यारे सखा ओबीओ

यार बरसों से रूठे हैं जो

उनको वापस बुला ओबीओ

हम तेरा नाम ऊँचा करें

है यही कामना ओबीओ

जो नहीं सीखना चाहते

उनसे पीछा छुड़ा ओबीओ

और जो सीखते हैं उन्हें

अपने…

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Added by Samar kabeer on April 2, 2022 at 9:00pm — 37 Comments

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"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
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