आज धरती धन्य है , उसका हृदय प्रमुदित हुआ
स्वच्छ वायु , स्वच्छ जल , पर्यावरण निर्मल हुआ
गर यही स्थिति रही तो संक्रमण मिट जाएगा
यदि पुनः मानव ना अपनी गलतियां दोहराएगा
क्या कभी नभ सर्वदा उज्ज्वल धुला रह पाएगा ?
या कि फिर से धुन्ध का अजगर निगल ले जाएगा
है यही सपना निशा में दमकते नक्षत्र हों
चँहु दिशा पंछी चहकते उपवनों में मस्त हों
शुद्ध हो वातावरण , कैसे ? बड़ों से ज्ञान लें
उनकी अनुभव जन्य ज्ञान मशाल…
ContinueAdded by Usha Awasthi on April 27, 2020 at 7:39pm — 6 Comments
रक्त वर्ण इन पुष्प गुच्छ से
तुमने जो श्रृंगार किया
तपती गर्म दोपहरी को भी
है तुमने रसधार किया
लू के गर्म थपेड़ों से
बच रहने का उपचार किया
नारंगी और पीत रंग के
भावों से मनुहार किया
पथिकों को विश्राम , पंछियों को
आश्रय , उपहार दिया
जिस धरती से अंकुर फूटा
उसका कर्ज़ उतार दिया
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Usha Awasthi on April 22, 2020 at 12:45pm — No Comments
तर्क यदि दे सको तो
बैठो हमारे सामने
व्यर्थ के उन्माद में , अब
पड़ने की इच्छा नहीं
यदि हमारी संस्कृति को
कह वृथा , ललकारोगे
ऐसे अज्ञानी मनुज से
लड़ने की इच्छा नहीं
सर्व ज्ञानी स्वयं को
औरों को समझें निम्नतर
जिनके हृद कलुषित , है उनको
सुनने की इच्छा नहीं
व्यर्थ के उन्माद में , अब
पड़ने की इच्छा नहीं
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Usha Awasthi on April 15, 2020 at 8:32pm — 8 Comments
सीख अनर्गल दे रहे , बढ़-चढ़ बारम्बार
हमको भी अधिकार है , करने का प्रतिकार
केवल जिभ्या चल रही , करें न कोई काज
नित्य करें अवमानना , सारी लज्जा त्याग
अस्थिरता फैला रहे , करते व्यर्थ प्रलाप
गिद्ध दृष्टि बस वोट पर , अन्य न कोई बात
जब है विश्व कराहता , बढ़े भयंकर रोग
केवल बस आलोचना , नहीं कोई सहयोग
शान्थि समर्थक को समझ पत्थर , रगड़ें आप
प्रकटेगी शिव रोष की अगनि , भयंकर ताप
उसमें सारा भस्म…
ContinueAdded by Usha Awasthi on April 13, 2020 at 12:08pm — 2 Comments
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