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KALPANA BHATT ('रौनक़')'s Blog – April 2022 Archive (1)

गाँव की धरती (कविता)

गाँव की धरती

गाँव की छवि अति निराली

शहर से छटा उसकी है न्यारी

गगनचुंबी से मुक्त धरा है होती

खुले आकाश सँग बातें ज्यादा है होती ।

सुबह सवेरे गाय बैल जगाते

दुग्ध धोने अपने ग्वाल को पुकारते

रुनझुन करती आती श्यामा

खुश हो जाती घर में दादी माँ

हल लेकर खेतो को निकलते

मेहनतकश पुरुष पसीना बहाते

बरगद नीम की छाँव तले बैठकर

खाते रोटी अचार चटनी प्याज मिलकर

हँसी ठट्ठा औ कोलाहल होता

हर घर से अपनापन है मिलता

सब कोई चाचा…

Continue

Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on April 27, 2022 at 10:26pm — 8 Comments

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