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Sushil Sarna's Blog – April 2022 Archive (8)

ताकत (लघुकथा )

ताकत .....

"क्या बात है रामदेव जी। आज बहुत  उदास लग रहे हो ।"" दीनानाथ जी ने चाय पीते- पीते पूछा ।

"दीनानाथ जी आजकल किसी को कुछ कहने का जमाना नहीं है ।" रामदेव ने कहा ।

"क्या हुआ कुछ बताओ तो।" दीनानाथ जी बोले ।

"अरे कल रात की ही बात है । आधी रात को सड़क बनाने वाले इंजन की आवाज़ सुनकर हमारी नींद उखड़ गई । बाहर  आकर देखा तो रोड रोलर हमारी गली के कोने की दुकान के सामने की सड़क के छोटे से टुकड़े पर डामरीकरण कर रहे थे ।" रामदेव जी बोले जा रहे थे ।

"फिर…

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Added by Sushil Sarna on April 30, 2022 at 8:49pm — 8 Comments

सत्य (आधार छंद रोला)

सुख-दुख हैं दो तीर , साँस की बहती धारा ।
जीवन  का  संघर्ष , अन्त  में  जीवन  हारा ।
बचा न कुछ भी शेष,
रही बस शेष कहानी ।
काया  के  अवशेष ,

ले  गया  गंगा  पानी  ।

अटल सत्य जब श्वास, छोड़ कर जाती काया ।
कुछ  न  आता काम , व्यर्थ हो जाती माया ।
वक्त  गया   जो   बीत,
कभी न लौट कर आए ।
शून्य  व्योम  ये  सत्य ,
बार -  बार   दोहराए  ।

सुशील सरना / 26-4-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Added by Sushil Sarna on April 25, 2022 at 12:00pm — 2 Comments

दोहावली ....

दोहावली......

जग के झूठे तीर हैं, झूठी है पतवार ।

अवगुंठन में जीत के, मुस्काती है हार ।।

कुदरत ने सबको दिया, जीने का अधिकार ।

धरती के हर जीव को, बाँटो अपना  प्यार ।।

छाया देती साथ जब, होता प्रखर प्रकाश ।

विषम काल में ईश ही , काटे दुख के पाश ।।

दो साँसों के तीर में, सुख -दुख का है नीर ।

भज दाता के नाम को, जब तक चले शरीर ।।

काया की प्राचीर में, साँसें खेलें खेल ।

इसकी हर दीवार पर, इच्छाओं की…

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Added by Sushil Sarna on April 24, 2022 at 12:10pm — 2 Comments

(पुस्तक दिवस पर ) कैदी. . . .

पुस्तक दिवस पर )

कैदी......

पहले कैद थे
लफ्ज़
अन्तस की गहन कंदराओं में
फिर कैद हुए
मोटी- मोटी जिल्दों में सोये पृष्ठों में
फिर कैद हुए
लकड़ी की अलमारियों में
आओ
मुक्ति दें इन अनमोल कैदियों को
जो बैठे हैं
उन कद्रदानों के  इन्तिज़ार में
जो पहचान सकें
लफ्जों में लिपटे मौसम के
अनबोले अहसासों के

सुशील सरना / 23-4-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Added by Sushil Sarna on April 23, 2022 at 10:26pm — 4 Comments

छल ....

छल ......

कल

फिर एक

कल होगा

भूख के साथ छल होगा

आशाओं के प्रासाद होंगे

तृष्णा की नाद होगी

उदर की कहानी होगी

छल से छली जवानी होगी

एक आदि का उदय होगा

एक आदि का अन्त होगा

आने वाला हर पल विकल होगा

जिन्दगी के सवाल होंगे

मृत्यु के जाल होंगे

मरीचिका सा कल होगा

तृष्णा तृप्ति का छल होगा

सच

कल

भोर के साथ

फिर एक कल होगा

भूख के साथ

छल होगा

सुशील सरना / 21-4-22

मौलिक एवं…

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Added by Sushil Sarna on April 21, 2022 at 9:57pm — 2 Comments

सार छंद - अनुभूति

सार छंद  : अनुभूति

छन्न पकैया छन्न पकैया, कैसी प्रीत निभायी ,

दिल ने तुझको  समझा अपना , तू निकला हरजाई।

छन्न पकैया छन्न पकैया, सपनों में जब आना ,

किसी और के सपनों मे फिर ,भूले से मत जाना ।

छन्न पकैया छन्न पकैया, कैसा ये युग आया ।

रिश्तों का कोई मोल नहीं, अच्छी लगती माया ।।

छन्न पकैया छन्न पकैया, कैसा कलियुग आया ।

सास बनाये रोटी सब्जी, बहू सजाए काया ।।



सुशील सरना / 12-4-22

मौलिक एवं…

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Added by Sushil Sarna on April 12, 2022 at 6:00pm — 6 Comments

आवाज ......

आवाज .....

सम्मान दिया
हर आवाज को
दबा कर
अपनी आवाज
स्त्री ने
तूफान आ गया
आवाज उठाई
उसने जो
अपनी 
आवाज के लिए
--------------------
वाचाल हो गया
मौन
नारी का
तोड़ कर
हर वर्जना
पुरातन की

सुशील सरना / 4-4-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Added by Sushil Sarna on April 4, 2022 at 10:57pm — 10 Comments

क्षणिकाएँ -मिलावट .....

क्षणिकाएँ -मिलावट



मर गया

एक शख़्स 

खा कर

मिलावटी

जीवन रक्षक दवा

----------------------

कैसे करेंगे

देश की रक्षा

देश के नौनिहाल

पी कर दूध

मिलावटी

------------------------

ख़ूब कमाया धन

जन जन से

बेचकर सामान

मिलावटी

पर

पाप कमाया

असली

------------------------

बनावटी रिश्ते

मिलावटी प्यार

कैसे दें

असली सुगन्ध

फूल काग़ज़ के …

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Added by Sushil Sarna on April 2, 2022 at 12:30pm — 8 Comments

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