ताकत .....
"क्या बात है रामदेव जी। आज बहुत उदास लग रहे हो ।"" दीनानाथ जी ने चाय पीते- पीते पूछा ।
"दीनानाथ जी आजकल किसी को कुछ कहने का जमाना नहीं है ।" रामदेव ने कहा ।
"क्या हुआ कुछ बताओ तो।" दीनानाथ जी बोले ।
"अरे कल रात की ही बात है । आधी रात को सड़क बनाने वाले इंजन की आवाज़ सुनकर हमारी नींद उखड़ गई । बाहर आकर देखा तो रोड रोलर हमारी गली के कोने की दुकान के सामने की सड़क के छोटे से टुकड़े पर डामरीकरण कर रहे थे ।" रामदेव जी बोले जा रहे थे ।
"फिर…
ContinueAdded by Sushil Sarna on April 30, 2022 at 8:49pm — 8 Comments
सुख-दुख हैं दो तीर , साँस की बहती धारा ।
जीवन का संघर्ष , अन्त में जीवन हारा ।
बचा न कुछ भी शेष,
रही बस शेष कहानी ।
काया के अवशेष ,
ले गया गंगा पानी ।
अटल सत्य जब श्वास, छोड़ कर जाती काया ।
कुछ न आता काम , व्यर्थ हो जाती माया ।
वक्त गया जो बीत,
कभी न लौट कर आए ।
शून्य व्योम ये सत्य ,
बार - बार दोहराए ।
सुशील सरना / 26-4-22
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on April 25, 2022 at 12:00pm — 2 Comments
दोहावली......
जग के झूठे तीर हैं, झूठी है पतवार ।
अवगुंठन में जीत के, मुस्काती है हार ।।
कुदरत ने सबको दिया, जीने का अधिकार ।
धरती के हर जीव को, बाँटो अपना प्यार ।।
छाया देती साथ जब, होता प्रखर प्रकाश ।
विषम काल में ईश ही , काटे दुख के पाश ।।
दो साँसों के तीर में, सुख -दुख का है नीर ।
भज दाता के नाम को, जब तक चले शरीर ।।
काया की प्राचीर में, साँसें खेलें खेल ।
इसकी हर दीवार पर, इच्छाओं की…
Added by Sushil Sarna on April 24, 2022 at 12:10pm — 2 Comments
पुस्तक दिवस पर )
कैदी......
पहले कैद थे
लफ्ज़
अन्तस की गहन कंदराओं में
फिर कैद हुए
मोटी- मोटी जिल्दों में सोये पृष्ठों में
फिर कैद हुए
लकड़ी की अलमारियों में
आओ
मुक्ति दें इन अनमोल कैदियों को
जो बैठे हैं
उन कद्रदानों के इन्तिज़ार में
जो पहचान सकें
लफ्जों में लिपटे मौसम के
अनबोले अहसासों के
सुशील सरना / 23-4-22
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on April 23, 2022 at 10:26pm — 4 Comments
छल ......
कल
फिर एक
कल होगा
भूख के साथ छल होगा
आशाओं के प्रासाद होंगे
तृष्णा की नाद होगी
उदर की कहानी होगी
छल से छली जवानी होगी
एक आदि का उदय होगा
एक आदि का अन्त होगा
आने वाला हर पल विकल होगा
जिन्दगी के सवाल होंगे
मृत्यु के जाल होंगे
मरीचिका सा कल होगा
तृष्णा तृप्ति का छल होगा
सच
कल
भोर के साथ
फिर एक कल होगा
भूख के साथ
छल होगा
सुशील सरना / 21-4-22
मौलिक एवं…
ContinueAdded by Sushil Sarna on April 21, 2022 at 9:57pm — 2 Comments
सार छंद : अनुभूति
छन्न पकैया छन्न पकैया, कैसी प्रीत निभायी ,
दिल ने तुझको समझा अपना , तू निकला हरजाई।
छन्न पकैया छन्न पकैया, सपनों में जब आना ,
किसी और के सपनों मे फिर ,भूले से मत जाना ।
छन्न पकैया छन्न पकैया, कैसा ये युग आया ।
रिश्तों का कोई मोल नहीं, अच्छी लगती माया ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, कैसा कलियुग आया ।
सास बनाये रोटी सब्जी, बहू सजाए काया ।।
सुशील सरना / 12-4-22
मौलिक एवं…
ContinueAdded by Sushil Sarna on April 12, 2022 at 6:00pm — 6 Comments
आवाज .....
सम्मान दिया
हर आवाज को
दबा कर
अपनी आवाज
स्त्री ने
तूफान आ गया
आवाज उठाई
उसने जो
अपनी
आवाज के लिए
--------------------
वाचाल हो गया
मौन
नारी का
तोड़ कर
हर वर्जना
पुरातन की
सुशील सरना / 4-4-22
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on April 4, 2022 at 10:57pm — 10 Comments
क्षणिकाएँ -मिलावट
मर गया
एक शख़्स
खा कर
मिलावटी
जीवन रक्षक दवा
----------------------
कैसे करेंगे
देश की रक्षा
देश के नौनिहाल
पी कर दूध
मिलावटी
------------------------
ख़ूब कमाया धन
जन जन से
बेचकर सामान
मिलावटी
पर
पाप कमाया
असली
------------------------
बनावटी रिश्ते
मिलावटी प्यार
कैसे दें
असली सुगन्ध
फूल काग़ज़ के …
Added by Sushil Sarna on April 2, 2022 at 12:30pm — 8 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |