मौसा, मौसी, ताऊ, फूफा
दुल्हे के सब साथी
बज रहे हैं गाजे बाजे
नाच रहे बाराती.
मेट्रो सी चमक रही
दिल्ली वाली भाभी
चक्करघिन्नी सी घूमे अम्मा
टांग कमर में चाभी
घुटनों का दर्द छुपाये
देख सभी को मुस्काती
नई सूट पहन कर भैया,
नाश्ते का पैकेट बाँट रहा
अपने लिए भी कोई
कटरीना, करीना छांट रहा
लहंगा चोली पहन के छोटी
घूमती है इतराती
जनक जीवन की मुश्किल बेला
विदा हो रही सीता
भीतर में कुछ टूट रहा…
Added by Neeraj Neer on April 25, 2015 at 12:03pm — 14 Comments
पैरों में एक जोड़ी हवाई चप्पल,
और छोटी छोटी ख़्वाहिशों से चमकती आँखों के साथ
हाथों में स्टिक लिए
कुछ लड़कियां हॉकी खेलने जाती है
भागती है गेंद के पीछे
गेंद में छुपा बैठा है पेट भर खाने का सुख
पहाड़ के उस पार
जंगलों के बीचों बीच नंगे पाँव
एक वृद्ध आदिवासी दंपति
सखुआ के पत्तों को हटाकर
पौधों की जड़ें खोद
रात के खाने का इंतजाम करता है।
उसने कभी हॉकी का स्टिक नहीं देखा है
पर वह सपने देखता है
गेंद से…
ContinueAdded by Neeraj Neer on April 4, 2015 at 1:30pm — 7 Comments
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