For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – April 2015 Archive (4)

देख जलता रोम नीरो सा बजा मत बंशियाँ - लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’



2122      2122     2122     212

******************************

पत्थरों  के  बीच   रहकर  देवता  बनकर  दिखा

दीन मजलूमों के हित में इक दुआ बनकर दिखा

****

कर  रहा  आलोचना  तो   सूरजों   की   देर  से

है अगर  तुझमें हुनर तो  दीप सा बनकर दिखा

****

चाँद पानी में  दिखाकर स्वप्न  दिखलाना सहज

बात तब  है  रोटियों  को  तू तवा  बनकर दिखा

****

देख  जलता  रोम  नीरो  सा  बजा मत बंशियाँ

जो हुए  बरबाद  उनको  आसरा  बनकर दिखा

****

है सहोदर  तो  लखन …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 22, 2015 at 10:57am — 9 Comments

गर जाग गया होता अंतस जो अजानों से - लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

221  1222  221  1222

******************

कब  मोह  दिखाती  है  सरकार  किसानों से

मतलब  तो उसे  है बस  दो  चार दुकानों से

****

रिश्तों  की  कहाँ कीमत  वो लोग  समझते हैं

है   प्यार  जिन्हें  केवल  दालान  मकानों  से

****

वो  मान   इसे  लेंगे  अपमान   बुजुर्गी  का

तकरार   यहाँ  करना   बेकार   सयानों  से

****

कदमों  को मिला पाए कब साथ नयों का हम

कब  यार  निभाई  है  तुमने  भी  पुरानों  से

****

उस  रोज  यहाँ होगा सतयुग सा  नजारा भी

जिस रोज …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 21, 2015 at 12:16pm — 15 Comments

है रावण नाम तेरा गर चरित को राम जैसा कर -लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’

1222 1222 1222 1222

*************************

नगर  भी  गाँव  जैसा  ही  मुहब्बत का  घराना हो

सभी के रोज  अधरों  पर  खुशी  का  ही  तराना हो

*****

बिछा  लेना  कहीं  भी   जाल   जब  चाहे  निषादों सा

मगर  जीवन  में  नफरत ही तुम्हारा बस निशाना हो

*****

है  भोलापन  बहुत अच्छा  मगर छल भी समझ पाए

रचो जग  तुम जहाँ बचपन  भी  इतना  तो सयाना हो

*****

खुशी हो  बाँटनी  जब भी  न  सोचो  गैर  अपनों की

मगर सौ बार तुम सोचो  किसी का दिल दुखाना हो

 *****

नई…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 5, 2015 at 10:41am — 11 Comments

जमाना और था जब प्यार आँसू पोंछ देता था - लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’

1222    1222     1222 1222

******************************

ये कैसी  हलचलें  नवयुग  बता  तेरी  रवानी में

बचे  भूगोल  में  नाले  नदी   किस्से  कहानी में

****

बनीं नित नीतियाँ ऐसी हुकूमत हो किसी की भी

नफा व्यापार  में  बढ़चढ़  रहे  फाका किसानी में

****

दिलों का जोश ठंडा है, उमर कमसिन उतरते ही

बुढ़ापा  हो गया हावी  सभी  पर  धुर  जवानी में

****

जमाना  और  था  जब  प्यार  आँसू पोंछ  देता था

मगर अब अश्क मिलते हैं मुहब्बत की निशानी में…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 2, 2015 at 11:00am — 12 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service