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खोटा सिक्का हो गया है आज अय्यारों का फन
हर तरफ छाया हुआ है आज बाजारों का फन
कर रही है अब समर्थन पप्पुओं की भीड़ भी
क्या गजब ढाने लगा है आज गद्दारों का फन
हौसला देते जरा तो क्या गजब करती सुई
आजमाने में लगे सब किन्तु तलवारों का फन
पुल बने हैं कागजों पर कागजों पर ही नदी
क्या गजब यारो यहा आजाद सरकारों का फन
पास जाती नाव है जब साथ नाविक छोड़ता
आपने देखा न होगा यार…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 16, 2016 at 11:21am — No Comments
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कहाँ तक नाव जाएगी करे पतवार गद्दारी
गजल लय में रहे कैसे करें असआर गद्दारी ।1।
भले कहना सरल है ये यहाँ हर नींव पक्की है
सलामत छत रहे कैसे करे दीवार गद्दारी ।2l
कहा करते हैं दुर्जन भी ये तो तहजीब का फल है
सुहाती है किसी को ढब किसी को भार गद्दारी ।3l
न जाने यार क्या होगा चमन में हाल फूलों का
अगर करने लगे यूँ ही कसम से खार गद्दारी ।4l
जुड़े जब स्वार्थ ही केवल…
ContinueAdded by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 7, 2016 at 12:00pm — 2 Comments
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बिछड़ कर भी कहाँ तुझसे तेरी बातों को भूले हैं
कहाँ उस झील के तट की मुलाकातों को भूले हैं।1।
कि छोड़ा हमने अपना दिन तेरी जुल्फों के साये में
तेरे काँधें पे हम अपनी सनम रातों को भूले हैं।2।
बजा करती हैं कानों में तुम्हारी पायलें अब भी
खनकती चूडि़यों वाले न उन हातों को भूले हैं।3।
न छत पर चाँद तारों से हमारा हाल तुम पूछो
तपन की याद किसको है कि बरसातों को भूले हैं।4।
अगर है याद जो थोड़ा…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 5, 2016 at 12:01pm — 15 Comments
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उछल कर केंचुए तल से कभी ऊपर नहीं होते
कि दादुर कूप के यारो कभी बाहर नहीं होते ।1
समर्थन पाक को हासिल हमारे बीच से वरना
कभी कश्मीर पर इतने कड़े तेवर नहीं होते।2
पढ़ाते तुम न जो उनको कि भाई भी फिरंगी है
कभी मासूम हाथो में लिए पत्थर नहीं होते।3
बँटे हम तुम न होते गर यहाँ मजहब विचारों में
कभी जयचंद जाफर तब छिपे भीतर नहीं होते।4
समझ थोड़ा अगर रखती हमारे देश की जनता
हमेशा इस सियासत में भरे…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 3, 2016 at 9:41am — 14 Comments
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