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Featured Blog Posts – June 2013 Archive (3)


सदस्य टीम प्रबंधन
पाँच दोहे.. // --सौरभ

तू  मुझमें  बहती  रही, लिये धरा-नभ-रंग

मैं    उन्मादी   मूढ़वत,   रहा  ढूँढता  संग



सहज हुआ अद्वैत पल,  लहर  पाट  आबद्ध

एकाकीपन साँझ का, नभ-तन-घन पर मुग्ध



होंठ पुलक जब छू रहे,   रतनारे  …

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Added by Saurabh Pandey on June 22, 2013 at 2:00am — 51 Comments

दो ग़ज़लें

आपने चाहा ही नहीं दर्द का दरमां होना 

कितना आसान था दुश्वार का आसां होना 

.

आपका हुस्न तो खुद होश उड़ा देता 

आपको ज़ेब नहीं देता है हैरां होना 

.

नाम ए मर्ग है फूलों के लिए काली घटा 

दोशे गुलनार पे ज़ुल्फों का परेशां होना

.

वक़्त वो दोस्त है जो पल में बदल जाता है 

भूल से भी न कभी वक़्त पे नाजां होना 

.

दिल पे अज्ञात के जो गुजरा है वो ज़ाहिर है 

इस तरह आप का लहरा के पेरीजां होना 

.

ज़ेब = शोभा , नाजाँ =…

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Added by Ajay Agyat on June 13, 2013 at 9:00pm — 9 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
गंगा-दशा // --सौरभ

(छंद - मनहरण घनाक्षरी)



गोमुखी प्रवाह जानिये पवित्र संसृता  कि  भारतीय धर्म-कर्म  वारती बही सदा

दत्त-चित्त निष्ठ धार सत्य-शुद्ध वाहिनी कुकर्म तार पीढ़ियाँ उबारती रही सदा

पाप नाशिनी सदैव पाप तारती रही उछिष्ट औ’ अभक्ष्य किन्तु धारती गही सदा    …

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Added by Saurabh Pandey on June 8, 2013 at 8:30pm — 33 Comments

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