For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Anand Vats's Blog – June 2010 Archive (6)

कितना बदल गया इंसान

जाने क्या हो गया है
आजकल के इंसान को .
पेड काट के आता है
बिल्डिंग बना जाता है|

मार्बल मकराना पत्थर
खूब अच्छे से पहचानता है
बस बुढे बाप की
बढ़ती पथरी नहीं देख पता |

स्वार्थ जलन मोह धन वासना
लक्ष बन जाता है
गौर से देखो यारो इंसान
जानवर से भी पीछे नज़र आता है |



लेखक :- आनंद वत्स .

सह्रदय आभार- आदरणीय बब्बन पाण्डेय जी ..आपसे प्रेरणा मिली है |

Added by Anand Vats on June 26, 2010 at 3:00pm — 4 Comments

सलाईआ

दफ्तर जाते हुए सेक्टर ६२ नॉएडा से रिक्शा लिया, बैठते ही किसी को सिगरेट फूंकते देखकर धूम्रपान की तलब हुयी तो मैंने भी फौरन सिगरेट सुलगानी शुरू कर दी ! लेकिन हवा तो जैसे मेरे पीछे ही पडी हुयी थी .. एक ..दो ...तीन .. चार, मगर यह क्या ? माचिस की तीलियाँ तो बुझती ही जा रही थीं और मेरी सिगरेट सुलग नहीं पा रही थी ! तब एकदम ख्याल आ गया उस पुरानी माचिस का जो बचपन में घरो में आम हुआ करती थी ! पतली प्लाईवुड कवर वाली और नीले कागज़ वाली .. शायद एक्का माचिस थी ! क्या माचिस हुआ करता थी - एकदम मोटी सी लकड़ी,… Continue

Added by Anand Vats on June 11, 2010 at 6:00pm — 5 Comments

फूलिश

सीना नहीं बना पाए तो क्या ..पेट तो फुला लिया .. अपराध मिटा न सके तो क्या .. अवरोधक तो बना लिया ....

पेट में जो चर्बी है सब आम जनता की अमानत है ..वापस लेना है की नहीं..
. इतनी चर्बी से ना जाने कितने घुप्प घरो के दिए रोशन हुए होते ..



Added by Anand Vats on June 2, 2010 at 12:09pm — 8 Comments

बचपन

मैं कोई लेखक नहीं हु लेकिन मेरे अंदर कीड़ा मचला है अब ..शब्दों को पिरोना संजोना नहीं अत्ता है .. लेकिंग जो बातें हैं कही अनकही बस लिख देना है



गर्मी भीषण हो रही है दिल्ली में मगर बचपना याद दिला रही है..झारखण्ड में एक जगह है , साहिबगंज . वह एक तरफ झरने वाली पहाड़ी है दूसरी तरफ उत्तर वाहिनी गंगा ..चिलचिलाती धुप में कभी झरने में नहा के सुकून लेते थे केकड़ो को पकड़ पकड़ कर हमलोग उसके शल्य चिकित्सा किया करते थे . रोज़ स्कूल से भाग के गंगा नहाने जाते थे सारा दिन मस्ती शाम को आंखे लाल होती… Continue

Added by Anand Vats on June 1, 2010 at 1:03pm — 9 Comments

हरी

माँ की सुनायी प्रयाय्वाची पे आधारित कुछ पंक्तियाँ याद आ गयी है ....

हरी गए हरी से मिलने , हरी बैठे हरी पास
ये हरी वोह हरी मिल गए , ये हरी भये उदास |

हरी अर्थात (साप , मेढक . नदी )

Added by Anand Vats on June 1, 2010 at 12:06pm — 1 Comment

क्षमा कीजिये मुझे मैं हाथ जोड़ता हू|

मैं तत्काल प्रभाव से मेरे सारे कार्यों से त्यागपत्र दे रहा हूँ -- मेरे इस्तीफे के लिए कारण है कि मैं आज सुबह काम पर जाने से पहले मुझे एहसास हुआ की बाल मजदूरी आपराध है|| आपसे शिकायत है की आप मुझे एहसास न दिला पाए .

Added by Anand Vats on June 1, 2010 at 11:50am — 6 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तस्दीक अहमद जी आदाब, बहुत सुंदर ग़ज़ल हुई है बहुत बधाई।"
6 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"लक्ष्मण धामी जी अभिवादन, ग़ज़ल की मुबारकबाद स्वीकार कीजिए।"
6 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय दयाराम जी, मतले के ऊला में खुशबू और हवा से संबंधित लिंग की जानकारी देकर गलतियों की तरफ़…"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी, तरही मिसरे पर बहुत सुंदर प्रयास है। शेर नं. 2 के सानी में गया शब्द दो…"
8 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"इस लकीर के फकीर को क्षमा करें आदरणीय🙏 आगे कभी भी इस प्रकार की गलती नहीं होगी🙏"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय रिचा यादव जी, आपने रचना जो पोस्ट की है। वह तरही मिसरा ऐन वक्त बदला गया था जिसमें आपका कोई…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय मनजीत कौर जी, मतले के ऊला में खुशबू, उसकी, हवा, आदि शब्द स्त्री लिंग है। इनके साथ आ गया…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी ग़जल इस बार कुछ कमजोर महसूस हो रही है। हो सकता है मैं गलत हूँ पर आप…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बुरा मत मानियेगा। मै तो आपके सामने नाचीज हूँ। पर आपकी ग़ज़ल में मुझे बह्र व…"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, अति सुंदर सृजन के लिए बधाई स्वीकार करें।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सादर अभिवादन। लम्बे समय बाद आपकी उपस्थिति सुखद है। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक…"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"ग़ज़ल 221, 2121, 1221, 212 इस बार रोशनी का मज़ा याद आगया उपहार कीमती का पता याद आगया अब मूर्ति…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service