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221 2121 1221 212
चाहें किसी को और निबाहें किसी से हम
ख़ुश होईये कि हो ही गए आदमी से हम.
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वो आते इस से क़ब्ल दवा काम कर गई
उकता गए हकीम की चारागरी से हम.
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दीवार पर लगी हुई तस्वीर है अना
पीछे से झाँकती हुई इक छिपकली से हम.
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बन्दों में और ख़ुदा में अजब घालमेल है
हम से ही वो बना है, बने हैं उसी से हम.
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सूरज नहीं हैं हम जो किसी रात से डरें
लड़ते रहेंगे सुब्ह तलक तीरगी से हम.
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दुनिया की दौड़…
Added by Nilesh Shevgaonkar on June 28, 2023 at 5:00pm — 6 Comments
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अँधेरे पल में ख़ुद के ‘नूर’ का दीदार हो जाना
ये ऐसा है कि दुनियावी बदन के पार हो जाना.
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कई सदियों से बस किरदार बन कर थक चुका हूँ मैं
मेरी है मुख़्तसर ख़्वाहिश कहानी-कार हो जाना.
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दुआ है, जान है जब तक मेरा ये जिस्म चल जाए
बहुत रंजीदा करता है यूँ ही बेकार हो जाना.
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जिन्हें मैं जोड़ने में रोज़ थोड़ा टूट जाता था
उन्हें भी रास आया है मेरा मिस्मार हो जाना. (तक़ाबुले रदीफ़ स्वीकर करते हुए)
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मेरी बातें वही…
Added by Nilesh Shevgaonkar on June 19, 2023 at 5:15pm — 6 Comments
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बनें जब तक बना कर हम रखेंगे इस ज़माने से
फिर इक दिन लौट जाएँगे चले थे जिस ठिकाने से.
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अँधेरे की हुकूमत यूँ तो चारों सिम्त फैली है
मगर वो काँप जाता है दीये के टिमटिमाने से.
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तो फिर दरिया तो क्या मैं इक समुन्दर भी बहा देता
अगर बिछड़ा कोई मिलता हो अश्कों के बहाने से.
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कई बरसों से मैं बस उन की ही महफ़िल में जाता हूँ
जिन्हें कुछ फ़र्क़ पड़ता हो मेरे आने न आने से.
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बड़प्पन ये कि औरों से लकीर अपनी बड़ी रक्खें
नहीं बढ़ता किसी…
Added by Nilesh Shevgaonkar on June 14, 2023 at 1:00pm — 2 Comments
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